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बांग्लादेश को सेक्युलर शब्द से ये कैसी दिक्कत

बांग्लादेश को सेक्युलर शब्द से ये कैसी दिक्कत, क्यों संविधान से हटाने का रखा प्रस्ताव,
नई दिल्ली:बांग्लादेश की नई सरकार को अब सेक्युलर कहलाने से भी दिक्कत होने लगी है. यही वजह है कि नई सरकार में अटॉर्नी जनरल के पोस्ट पर तैनात मोहम्मद असदुज्जमां ने हाईकोर्ट के सामने ये प्रस्ताव रखा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रस्ताव में संविधान से सेक्युलर और सोशलिजम शब्द को हटाने की मांग की गई है. अटॉर्नी जनरल ने संविधान से ऑर्टिकल 7ए को भी खत्म करने की बात कही है. दरअसल, ढाका हाईकोर्ट में बुधवार को एक रिट याचिका की सुनवाई चल रही थी. इसी दौरान इस तरह प्रस्ताव रखा गया है. यह रिट याचिका कई लोगों ने मिलकर हाईकोर्ट में दाखिल की थी. इस रिट याचिका में देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा 2011 में गए 15वें संविधान संसोधन की वैधता को चुनौती दी गई है. 
अटॉर्नी जनरल ने दिया ये तर्क 
अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने संविधान से सेक्युलर शब्द हटाने के लिए अहम संसोधन लाने की भी मांग की है. अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा कि पहले अल्लाह पर हमेशा भरोसा और यकीन होता था. मैं चाहता हूं कि यह पहले जैसे ही रहे. आर्टिकल 2ए में कहा गया है कि राज्य सभी धर्मों के पालन में समान अधिकार और समानता तय करेगा. अटॉर्नी जनरल ने तर्क दिया कि संवैधानिक संशोधन में लोकतंत्र नजर आना चाहिए. साथ ही साथ हमें सत्ता के दुरुपयोग को बढ़ावा देने से भी बचना चाहिए. कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने 7ए और 7बी पर भी आपत्ति जताई, जो ऐसे किसी भी संसोधन पर रोक लगाते हैं, जो कि लोकतंत्र को खत्म भी कर सकता है. 

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