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पुणे में जीबीएस का खतरा क्यों बढ़ गया है? जलापूर्ति के संबंध में चौंकाने वाली रिपोर्ट

पुणे:- पुणे शहर में वर्तमान में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए, पुणे में पीने के पानी का मुद्दा सामने आ गया है। पुणे शहर में वर्तमान में 130 जीबीएस रोगी हैं। इनमें से 20 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। कई लोग पुणे के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। दूसरी ओर, पुणे शहर में 3 जीबीएस मरीजों की मौत हो गई है। आज एक और जीबीएस मरीज की मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में जीबीएस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है।
मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, कई जल नमूनों का परीक्षण किया गया। पुणे शहर के धायरी गांव, किरकटवाड़ी और नांदेड़ सिटी इलाकों में सबसे ज्यादा मरीज पाए गए हैं। इस क्षेत्र से पानी के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, अवशिष्ट क्लोरीन का स्तर सही था। लेकिन कुछ नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी और नोरोवायरस जैसे बैक्टीरिया और वायरस पाए गए हैं।

एक और रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें टैंकरों के माध्यम से क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाती है। उस पानी के नमूने की रिपोर्ट सामने आ गई है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि टैंकरों से आपूर्ति किये जाने वाले पानी में कोलीफॉर्म और ई. कोली बैक्टीरिया पाए गए हैं। वह पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं है। इससे यह स्पष्ट है कि पुणे के लोगों को दूषित पानी की आपूर्ति की जा रही है।
 चूंकि जलापूर्ति दूषित है, इसलिए सवाल उठता है कि टैंकरों के माध्यम से आपूर्ति की जाने वाली इतनी बड़ी मात्रा में पानी का उचित परीक्षण और निरीक्षण कौन कर रहा है? इतनी बड़ी मात्रा में पानी की आपूर्ति टैंकर से क्यों की जाती है? अब पुणेकर इन सभी सवालों के जवाब किससे मांगें? यह पूछा जा रहा है। एक तरफ पुणे नगर निगम लोगों को पीने का पानी उबालकर पीने की चुनौती दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ 'टैंकर माफिया' भ्रष्ट कारोबार चला रहा है। पुणे निवासी पूछ रहे हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

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