
कल्याण बिल्डिंग हादसे के बाद अस्पताल का अमानवीय चेहरा सामने आया; घायलों के लिए जमा राशि की मांग
कल्याण, 21 मई, 2025: कल्याण पूर्व के मंगलाराघोनगर इलाके में मंगलवार दोपहर सप्तश्रृंगी इमारत का स्लैब गिरने से पूरा इलाका हिल गया है। दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। हालांकि इस हादसे के बाद एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। स्थानीय नागरिकों ने गंभीर आरोप लगाया है कि कुछ अस्पताल घायलों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में भर्ती करते समय इलाज से पहले जमा राशि की मांग कर रहे हैं।
सप्तश्रृंगी 40 साल पुरानी इमारत है और इसकी दूसरी मंजिल का स्लैब भूतल पर गिर गया। इस हादसे में 12 लोग मलबे में दब गए, जिनमें से 6 की मौत हो गई और 6 घायल हो गए। मृतकों में 3 महिलाएं, 2 पुरुष और एक 2 साल का बच्चा शामिल है। अग्निशमन विभाग, पुलिस और स्थानीय निवासियों ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया और घायलों को पास के निजी और नगर निगम अस्पतालों में भर्ती कराया।
हालांकि, यह बात सामने आई है कि कुछ निजी अस्पताल घायलों को भर्ती करने से पहले बड़ी रकम की मांग कर रहे हैं। स्थानीय निवासी संजय पाटिल ने कहा, "हम घायलों को अस्पताल ले गए, लेकिन वहां इलाज शुरू करने से पहले उन्होंने 50,000 से 1 लाख रुपये तक जमा करने की मांग की। ऐसे संकट के समय ऐसा अमानवीय व्यवहार बहुत दुखद है।"
इस दुर्घटना ने कल्याण-डोंबिवली नगर निगम की खतरनाक इमारतों की सूची में गंभीर खामियां भी उजागर कर दी हैं। यह बात सामने आई है कि सप्तश्रृंगी इमारत 40 साल पुरानी होने के बावजूद नगरपालिका की खतरनाक इमारतों की सूची में नहीं थी। इससे स्थानीय नागरिकों में प्रशासन की लापरवाही के प्रति रोष व्यक्त किया गया है।
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस, अग्निशमन विभाग और नगर निगम के अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। बचाव कार्य अब पूरा हो चुका है और दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है। कल्याण-डोंबिवली नगर निगम ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया है।
इस घटना ने खतरनाक इमारतों के रखरखाव के प्रति प्रशासन की उपेक्षा और अस्पतालों के असंवेदनशील व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त नियम और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
कल्याण, 21 मई, 2025: कल्याण पूर्व के मंगलाराघोनगर इलाके में मंगलवार दोपहर सप्तश्रृंगी इमारत का स्लैब गिरने से पूरा इलाका हिल गया है। दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। हालांकि इस हादसे के बाद एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। स्थानीय नागरिकों ने गंभीर आरोप लगाया है कि कुछ अस्पताल घायलों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में भर्ती करते समय इलाज से पहले जमा राशि की मांग कर रहे हैं।
सप्तश्रृंगी 40 साल पुरानी इमारत है और इसकी दूसरी मंजिल का स्लैब भूतल पर गिर गया। इस हादसे में 12 लोग मलबे में दब गए, जिनमें से 6 की मौत हो गई और 6 घायल हो गए। मृतकों में 3 महिलाएं, 2 पुरुष और एक 2 साल का बच्चा शामिल है। अग्निशमन विभाग, पुलिस और स्थानीय निवासियों ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया और घायलों को पास के निजी और नगर निगम अस्पतालों में भर्ती कराया।
हालांकि, यह बात सामने आई है कि कुछ निजी अस्पताल घायलों को भर्ती करने से पहले बड़ी रकम की मांग कर रहे हैं। स्थानीय निवासी संजय पाटिल ने कहा, "हम घायलों को अस्पताल ले गए, लेकिन वहां इलाज शुरू करने से पहले उन्होंने 50,000 से 1 लाख रुपये तक जमा करने की मांग की। ऐसे संकट के समय ऐसा अमानवीय व्यवहार बहुत दुखद है।"
इस दुर्घटना ने कल्याण-डोंबिवली नगर निगम की खतरनाक इमारतों की सूची में गंभीर खामियां भी उजागर कर दी हैं। यह बात सामने आई है कि सप्तश्रृंगी इमारत 40 साल पुरानी होने के बावजूद नगरपालिका की खतरनाक इमारतों की सूची में नहीं थी। इससे स्थानीय नागरिकों में प्रशासन की लापरवाही के प्रति रोष व्यक्त किया गया है।
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस, अग्निशमन विभाग और नगर निगम के अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। बचाव कार्य अब पूरा हो चुका है और दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है। कल्याण-डोंबिवली नगर निगम ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया है।
इस घटना ने खतरनाक इमारतों के रखरखाव के प्रति प्रशासन की उपेक्षा और अस्पतालों के असंवेदनशील व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त नियम और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सप्तश्रृंगी 40 साल पुरानी इमारत है और इसकी दूसरी मंजिल का स्लैब भूतल पर गिर गया। इस हादसे में 12 लोग मलबे में दब गए, जिनमें से 6 की मौत हो गई और 6 घायल हो गए। मृतकों में 3 महिलाएं, 2 पुरुष और एक 2 साल का बच्चा शामिल है। अग्निशमन विभाग, पुलिस और स्थानीय निवासियों ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया और घायलों को पास के निजी और नगर निगम अस्पतालों में भर्ती कराया।
हालांकि, यह बात सामने आई है कि कुछ निजी अस्पताल घायलों को भर्ती करने से पहले बड़ी रकम की मांग कर रहे हैं। स्थानीय निवासी संजय पाटिल ने कहा, "हम घायलों को अस्पताल ले गए, लेकिन वहां इलाज शुरू करने से पहले उन्होंने 50,000 से 1 लाख रुपये तक जमा करने की मांग की। ऐसे संकट के समय ऐसा अमानवीय व्यवहार बहुत दुखद है।"
इस दुर्घटना ने कल्याण-डोंबिवली नगर निगम की खतरनाक इमारतों की सूची में गंभीर खामियां भी उजागर कर दी हैं। यह बात सामने आई है कि सप्तश्रृंगी इमारत 40 साल पुरानी होने के बावजूद नगरपालिका की खतरनाक इमारतों की सूची में नहीं थी। इससे स्थानीय नागरिकों में प्रशासन की लापरवाही के प्रति रोष व्यक्त किया गया है।
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस, अग्निशमन विभाग और नगर निगम के अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। बचाव कार्य अब पूरा हो चुका है और दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है। कल्याण-डोंबिवली नगर निगम ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया है।
इस घटना ने खतरनाक इमारतों के रखरखाव के प्रति प्रशासन की उपेक्षा और अस्पतालों के असंवेदनशील व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त नियम और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।