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झारखंड विधानसभा चुनाव: 71% आदिवासी मतदाताओं का गणित किसके पक्ष में?

झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों में आदिवासी मतदाता एक बार फिर से निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 71% आदिवासी समुदायों से आता है, जो 81 सीटों वाली विधानसभा में सत्ता के समीकरण को प्रभावित करने में अहम भूमिका अदा करता है।
आदिवासी मतदाताओं की भूमिका
झारखंड की राजनीति में आदिवासी मतदाताओं का झुकाव हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस सहित अन्य दल आदिवासी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी रणनीतियां तेज कर चुके हैं।
मुख्य मुद्दे
जमीन और जल-जंगल का अधिकार:
आदिवासी समुदाय अपने पारंपरिक भूमि अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर काफी संवेदनशील है।
रोजगार और शिक्षा:
रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ापन आदिवासी युवाओं के लिए एक बड़ा मुद्दा है, जिसे लेकर राजनीतिक दल कई वादे कर रहे हैं।
संविधान की पांचवीं अनुसूची और स्थानीय नीति:
पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्रों के संरक्षण और विकास पर ध्यान केंद्रित करना पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
किसका पलड़ा भारी?
JMM, जो लंबे समय से आदिवासी समुदाय का पारंपरिक समर्थन पाती रही है, इस बार BJP की मजबूत चुनौती का सामना कर रही है। वहीं, कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए गठबंधन पर निर्भर है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आदिवासी मतदाता इस बार स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वोट करेंगे, जबकि राष्ट्रीय राजनीति का असर कुछ हद तक सीमित रहेगा।
आगामी चुनावों में आदिवासी मतदाताओं का गणित यह तय करेगा कि झारखंड की सत्ता की कुंजी किसके हाथ में होगी।

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