
हाथ में कलम थी लेकिन...राजनाथ सिंह का दस्तखत करने से इनकार! पाकिस्तान, चीन को खरी-खोटी सुनाई
मुंबई: भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हाथ में कलम थी, उनके सामने एक कोरा कागज पड़ा था, जिस पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में तैयार किया गया संयुक्त बयान लिखा हुआ था। रक्षा मंत्री ने बयान पढ़ा और कलम गोल मेज पर रख दी। उनकी हथेली उनके चेहरे को छू रही थी और उनके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि उन्हें उस कागज पर लिखे बयान पर पूरी आपत्ति है। राजनाथ सिंह के अलावा शंघाई सहयोग संगठन के 9 अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्री भी गोल मेज पर मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने उन सभी के सामने भारत की नाराजगी साफ तौर पर दर्ज कराई।
रक्षा मंत्री ने एक बार फिर पाकिस्तान, चीन और पूरी दुनिया को आतंकवाद पर कड़ा संदेश दिया। इस बयान में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र नहीं था। इसलिए भारत ने इस बयान पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया।
भारत की ओर से राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि यह संयुक्त बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को स्पष्ट नहीं करता है। बयान में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कहीं भी जिक्र नहीं है। यह कार्रवाई पाकिस्तान के इशारे पर की गई होगी। क्योंकि उसका करीबी दोस्त चीन वर्तमान में संगठन का अध्यक्ष है। इतना ही नहीं, इस हमले में बलूचिस्तान का भी जिक्र किया गया है। भारत पर बिना नाम लिए वहां अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया है।
'आतंकवाद और शांति व समृद्धि एक साथ नहीं चल सकते'
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को अच्छा संदेश दिया। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद के अपराधियों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और इसके खिलाफ कार्रवाई करते समय 'दोहरा' मापदंड स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।' साथ ही उन्होंने कहा, 'कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के लिए सीमा पार आतंकवाद को 'रणनीतिक उपकरण' के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता कट्टरपंथ और आतंकवाद है।' राजनाथ सिंह ने कहा कि शांति और समृद्धि और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। गैर-राज्य अभिनेताओं और आतंकवादी समूहों को सामूहिक विनाश के हथियार सौंपकर भी शांति कायम नहीं की जा सकती।
मुंबई: भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हाथ में कलम थी, उनके सामने एक कोरा कागज पड़ा था, जिस पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में तैयार किया गया संयुक्त बयान लिखा हुआ था। रक्षा मंत्री ने बयान पढ़ा और कलम गोल मेज पर रख दी। उनकी हथेली उनके चेहरे को छू रही थी और उनके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि उन्हें उस कागज पर लिखे बयान पर पूरी आपत्ति है। राजनाथ सिंह के अलावा शंघाई सहयोग संगठन के 9 अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्री भी गोल मेज पर मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने उन सभी के सामने भारत की नाराजगी साफ तौर पर दर्ज कराई।
रक्षा मंत्री ने एक बार फिर पाकिस्तान, चीन और पूरी दुनिया को आतंकवाद पर कड़ा संदेश दिया। इस बयान में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र नहीं था। इसलिए भारत ने इस बयान पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया।
भारत की ओर से राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि यह संयुक्त बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को स्पष्ट नहीं करता है। बयान में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कहीं भी जिक्र नहीं है। यह कार्रवाई पाकिस्तान के इशारे पर की गई होगी। क्योंकि उसका करीबी दोस्त चीन वर्तमान में संगठन का अध्यक्ष है। इतना ही नहीं, इस हमले में बलूचिस्तान का भी जिक्र किया गया है। भारत पर बिना नाम लिए वहां अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया है।
'आतंकवाद और शांति व समृद्धि एक साथ नहीं चल सकते'
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को अच्छा संदेश दिया। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद के अपराधियों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और इसके खिलाफ कार्रवाई करते समय 'दोहरा' मापदंड स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।' साथ ही उन्होंने कहा, 'कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के लिए सीमा पार आतंकवाद को 'रणनीतिक उपकरण' के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता कट्टरपंथ और आतंकवाद है।' राजनाथ सिंह ने कहा कि शांति और समृद्धि और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। गैर-राज्य अभिनेताओं और आतंकवादी समूहों को सामूहिक विनाश के हथियार सौंपकर भी शांति कायम नहीं की जा सकती।
रक्षा मंत्री ने एक बार फिर पाकिस्तान, चीन और पूरी दुनिया को आतंकवाद पर कड़ा संदेश दिया। इस बयान में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र नहीं था। इसलिए भारत ने इस बयान पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया।
भारत की ओर से राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि यह संयुक्त बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को स्पष्ट नहीं करता है। बयान में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कहीं भी जिक्र नहीं है। यह कार्रवाई पाकिस्तान के इशारे पर की गई होगी। क्योंकि उसका करीबी दोस्त चीन वर्तमान में संगठन का अध्यक्ष है। इतना ही नहीं, इस हमले में बलूचिस्तान का भी जिक्र किया गया है। भारत पर बिना नाम लिए वहां अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया है।
'आतंकवाद और शांति व समृद्धि एक साथ नहीं चल सकते'
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को अच्छा संदेश दिया। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद के अपराधियों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और इसके खिलाफ कार्रवाई करते समय 'दोहरा' मापदंड स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।' साथ ही उन्होंने कहा, 'कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के लिए सीमा पार आतंकवाद को 'रणनीतिक उपकरण' के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता कट्टरपंथ और आतंकवाद है।' राजनाथ सिंह ने कहा कि शांति और समृद्धि और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। गैर-राज्य अभिनेताओं और आतंकवादी समूहों को सामूहिक विनाश के हथियार सौंपकर भी शांति कायम नहीं की जा सकती।