
'ठाकरे गुट के संपर्क में हैं भाजपा के 27 विधायक', शिवसेना नेता का सनसनीखेज दावा!
मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के एक प्रमुख नेता ने सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 27 विधायकों ने उनसे संपर्क किया है, उन्होंने कहा कि दलबदल की संभावना है। इस दावे ने राजनीतिक हलकों में बड़ी हलचल मचा दी है। नेता ने कहा कि इन विधायकों के उनसे संपर्क करने का कारण सत्तारूढ़ महागठबंधन में आंतरिक मतभेद और नाराजगी है।
नेता ने आगे बताया कि, "भाजपा में कई विधायक मौजूदा राजनीतिक स्थिति से नाखुश हैं। खासकर मंत्री पद के बंटवारे और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उन्हें नजरअंदाज किए जाने की भावना से। इसके कारण वे शिवसेना (यूबीटी) से संपर्क कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर भरोसा है।"
महागठबंधन सरकार में शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा के बीच तनाव की बातें पिछले कुछ समय से चल रही हैं। इस दावे ने उन चर्चाओं को और बल दिया है। ठाकरे गुट के नेता ने दावा किया कि 27 विधायक स्थानीय विकास कार्य और पार्टी के भीतर समन्वय की कमी से नाखुश थे। उन्होंने कहा, "हम किसी विधायक को दलबदल करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं, लेकिन जो लोग हमसे संपर्क कर रहे हैं, उनका स्वागत है।" हालांकि, इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल का हिस्सा है। हमारे सभी विधायक पार्टी के साथ एकजुट हैं और कोई नाराजगी नहीं है।" साथ ही, शिंदे गुट के एक नेता ने ठाकरे गुट की आलोचना करते हुए दावे को "निराधार" बताया। इन घटनाक्रमों ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस दावे के पीछे की सच्चाई और इसके राजनीतिक निहितार्थ स्पष्ट हो जाएंगे।
मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के एक प्रमुख नेता ने सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 27 विधायकों ने उनसे संपर्क किया है, उन्होंने कहा कि दलबदल की संभावना है। इस दावे ने राजनीतिक हलकों में बड़ी हलचल मचा दी है। नेता ने कहा कि इन विधायकों के उनसे संपर्क करने का कारण सत्तारूढ़ महागठबंधन में आंतरिक मतभेद और नाराजगी है।
नेता ने आगे बताया कि, "भाजपा में कई विधायक मौजूदा राजनीतिक स्थिति से नाखुश हैं। खासकर मंत्री पद के बंटवारे और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उन्हें नजरअंदाज किए जाने की भावना से। इसके कारण वे शिवसेना (यूबीटी) से संपर्क कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर भरोसा है।"
महागठबंधन सरकार में शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा के बीच तनाव की बातें पिछले कुछ समय से चल रही हैं। इस दावे ने उन चर्चाओं को और बल दिया है। ठाकरे गुट के नेता ने दावा किया कि 27 विधायक स्थानीय विकास कार्य और पार्टी के भीतर समन्वय की कमी से नाखुश थे। उन्होंने कहा, "हम किसी विधायक को दलबदल करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं, लेकिन जो लोग हमसे संपर्क कर रहे हैं, उनका स्वागत है।" हालांकि, इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल का हिस्सा है। हमारे सभी विधायक पार्टी के साथ एकजुट हैं और कोई नाराजगी नहीं है।" साथ ही, शिंदे गुट के एक नेता ने ठाकरे गुट की आलोचना करते हुए दावे को "निराधार" बताया। इन घटनाक्रमों ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस दावे के पीछे की सच्चाई और इसके राजनीतिक निहितार्थ स्पष्ट हो जाएंगे।
नेता ने आगे बताया कि, "भाजपा में कई विधायक मौजूदा राजनीतिक स्थिति से नाखुश हैं। खासकर मंत्री पद के बंटवारे और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उन्हें नजरअंदाज किए जाने की भावना से। इसके कारण वे शिवसेना (यूबीटी) से संपर्क कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर भरोसा है।"
महागठबंधन सरकार में शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा के बीच तनाव की बातें पिछले कुछ समय से चल रही हैं। इस दावे ने उन चर्चाओं को और बल दिया है। ठाकरे गुट के नेता ने दावा किया कि 27 विधायक स्थानीय विकास कार्य और पार्टी के भीतर समन्वय की कमी से नाखुश थे। उन्होंने कहा, "हम किसी विधायक को दलबदल करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं, लेकिन जो लोग हमसे संपर्क कर रहे हैं, उनका स्वागत है।" हालांकि, इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल का हिस्सा है। हमारे सभी विधायक पार्टी के साथ एकजुट हैं और कोई नाराजगी नहीं है।" साथ ही, शिंदे गुट के एक नेता ने ठाकरे गुट की आलोचना करते हुए दावे को "निराधार" बताया। इन घटनाक्रमों ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस दावे के पीछे की सच्चाई और इसके राजनीतिक निहितार्थ स्पष्ट हो जाएंगे।