
एम्बुलेंस घोटाले के आरोपी अमित सालुंखे का महाराष्ट्र कनेक्शन! 12,000 करोड़ रुपये के टेंडर का मास्टरमाइंड कौन है?
पुणे: राज्य में 12,000 करोड़ रुपये के विवादास्पद एम्बुलेंस टेंडर मामले ने एक बार फिर चर्चा का विषय बना दिया है! पिंपरी चिंचवाड़ की 'सुमित फैसिलिटीज' कंपनी के निदेशक अमित सालुंखे को झारखंड में हुए 450 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में रांची में गिरफ्तार किया गया है। गौरतलब है कि इसी कंपनी को महाराष्ट्र में 12,000 करोड़ रुपये का एक एम्बुलेंस टेंडर मिला है, जिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। इस घोटाले की जड़ आखिर क्या है? और इसके पीछे कौन राजनेता है? यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।
राज्य में 12,000 करोड़ रुपये का टेंडर
झारखंड एसीबी ने झारखंड में हुए 450 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में पुणे के व्यवसायी अमित सालुंखे को रांची में गिरफ्तार किया है। सालुंखे 'सुमित फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड' के निदेशक हैं, जिसे महाराष्ट्र सरकार ने 12,000 करोड़ रुपये का एक विवादास्पद एम्बुलेंस टेंडर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि झारखंड सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने के बावजूद इस कंपनी को महाराष्ट्र में यह टेंडर दिया गया। मामले के मूल शिकायतकर्ता और सूचना के अधिकार कार्यकर्ता विजय कुंभार ने पूछा कि इसके पीछे असल वजह क्या है?
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस टेंडर की लागत 12,000 करोड़ रुपये है। इसमें 'सुमित फैसिलिटीज' की 55 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि स्पेन स्थित कंपनियों 'एसएसजी' और 'बीवीजी' को शेष हिस्सा मिला। लेकिन आरोप है कि यह टेंडर बाजार मूल्य से तीन गुना ज़्यादा कीमत पर दिया गया। इससे सरकार पर 10 साल में 6,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता, पारदर्शिता की कमी और कुछ ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के गंभीर आरोप हैं।
विजय कुंभार ने इस मामले में 4 बिंदुओं का ज़िक्र किया है।
यह टेंडर सिर्फ़ एक कंपनी के लिए तैयार किया गया था। 'सुमित फैसिलिटीज' को इसमें कोई अनुभव नहीं है, फिर भी उन्हें लाल कालीन पहना दिया गया।
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस खरीदने की लागत 637 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गई। इससे सरकारी खजाने पर 30,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
अमित सालुंखे और उनके भाई पहले भी सफाई, कचरा और उल्हासनगर टेंडर घोटालों में शामिल रहे हैं।
इस टेंडर का मसौदा सीधे ठेकेदार के कार्यालय में तैयार किया गया था, जो फोरेंसिक जाँच में साबित हो चुका है। इसकी गहन जाँच होनी चाहिए।
विजय कुंभार इस मामले पर लगातार नज़र रखे हुए हैं। उन्होंने टेंडर में हुई गड़बड़ियों और अनियमितताओं को उजागर किया है। उनका आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया कुछ खास ठेकेदारों को ध्यान में रखकर की गई थी।
इस टेंडर मामले में न केवल अमित सालुंखे, बल्कि उनके भाई सुमित सालुंखे का नाम भी सामने आया है। वह पहले भी पुणे और उल्हासनगर में सफाई और कचरा टेंडर घोटालों में शामिल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सालुंखे बंधुओं को तत्कालीन सरकार के नेताओं का समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत के कार्यकाल में भी नई एम्बुलेंस की आपूर्ति नहीं की गई थी और आज भी पुरानी एम्बुलेंस ही इस्तेमाल की जा रही हैं।
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस टेंडर घोटाले ने एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। हालाँकि झारखंड शराब घोटाला मामले में अमित सालुंखे की गिरफ्तारी हो गई है, लेकिन महाराष्ट्र में भी 12,000 करोड़ रुपये के टेंडर मामले की जाँच में तेज़ी आने की संभावना है। टेंडर में गड़बड़ियों, तीन गुनी कीमतें और कुछ ठेकेदारों को फ़ायदा पहुँचाने के आरोपों को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले की पूरी जाँच होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह घोटाला सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित रहेगा?
पुणे: राज्य में 12,000 करोड़ रुपये के विवादास्पद एम्बुलेंस टेंडर मामले ने एक बार फिर चर्चा का विषय बना दिया है! पिंपरी चिंचवाड़ की 'सुमित फैसिलिटीज' कंपनी के निदेशक अमित सालुंखे को झारखंड में हुए 450 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में रांची में गिरफ्तार किया गया है। गौरतलब है कि इसी कंपनी को महाराष्ट्र में 12,000 करोड़ रुपये का एक एम्बुलेंस टेंडर मिला है, जिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। इस घोटाले की जड़ आखिर क्या है? और इसके पीछे कौन राजनेता है? यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।
राज्य में 12,000 करोड़ रुपये का टेंडर
झारखंड एसीबी ने झारखंड में हुए 450 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में पुणे के व्यवसायी अमित सालुंखे को रांची में गिरफ्तार किया है। सालुंखे 'सुमित फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड' के निदेशक हैं, जिसे महाराष्ट्र सरकार ने 12,000 करोड़ रुपये का एक विवादास्पद एम्बुलेंस टेंडर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि झारखंड सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने के बावजूद इस कंपनी को महाराष्ट्र में यह टेंडर दिया गया। मामले के मूल शिकायतकर्ता और सूचना के अधिकार कार्यकर्ता विजय कुंभार ने पूछा कि इसके पीछे असल वजह क्या है?
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस टेंडर की लागत 12,000 करोड़ रुपये है। इसमें 'सुमित फैसिलिटीज' की 55 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि स्पेन स्थित कंपनियों 'एसएसजी' और 'बीवीजी' को शेष हिस्सा मिला। लेकिन आरोप है कि यह टेंडर बाजार मूल्य से तीन गुना ज़्यादा कीमत पर दिया गया। इससे सरकार पर 10 साल में 6,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता, पारदर्शिता की कमी और कुछ ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के गंभीर आरोप हैं।
विजय कुंभार ने इस मामले में 4 बिंदुओं का ज़िक्र किया है।
यह टेंडर सिर्फ़ एक कंपनी के लिए तैयार किया गया था। 'सुमित फैसिलिटीज' को इसमें कोई अनुभव नहीं है, फिर भी उन्हें लाल कालीन पहना दिया गया।
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस खरीदने की लागत 637 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गई। इससे सरकारी खजाने पर 30,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
अमित सालुंखे और उनके भाई पहले भी सफाई, कचरा और उल्हासनगर टेंडर घोटालों में शामिल रहे हैं।
इस टेंडर का मसौदा सीधे ठेकेदार के कार्यालय में तैयार किया गया था, जो फोरेंसिक जाँच में साबित हो चुका है। इसकी गहन जाँच होनी चाहिए।
विजय कुंभार इस मामले पर लगातार नज़र रखे हुए हैं। उन्होंने टेंडर में हुई गड़बड़ियों और अनियमितताओं को उजागर किया है। उनका आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया कुछ खास ठेकेदारों को ध्यान में रखकर की गई थी।
इस टेंडर मामले में न केवल अमित सालुंखे, बल्कि उनके भाई सुमित सालुंखे का नाम भी सामने आया है। वह पहले भी पुणे और उल्हासनगर में सफाई और कचरा टेंडर घोटालों में शामिल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सालुंखे बंधुओं को तत्कालीन सरकार के नेताओं का समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत के कार्यकाल में भी नई एम्बुलेंस की आपूर्ति नहीं की गई थी और आज भी पुरानी एम्बुलेंस ही इस्तेमाल की जा रही हैं।
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस टेंडर घोटाले ने एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। हालाँकि झारखंड शराब घोटाला मामले में अमित सालुंखे की गिरफ्तारी हो गई है, लेकिन महाराष्ट्र में भी 12,000 करोड़ रुपये के टेंडर मामले की जाँच में तेज़ी आने की संभावना है। टेंडर में गड़बड़ियों, तीन गुनी कीमतें और कुछ ठेकेदारों को फ़ायदा पहुँचाने के आरोपों को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले की पूरी जाँच होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह घोटाला सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित रहेगा?
राज्य में 12,000 करोड़ रुपये का टेंडर
झारखंड एसीबी ने झारखंड में हुए 450 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में पुणे के व्यवसायी अमित सालुंखे को रांची में गिरफ्तार किया है। सालुंखे 'सुमित फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड' के निदेशक हैं, जिसे महाराष्ट्र सरकार ने 12,000 करोड़ रुपये का एक विवादास्पद एम्बुलेंस टेंडर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि झारखंड सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने के बावजूद इस कंपनी को महाराष्ट्र में यह टेंडर दिया गया। मामले के मूल शिकायतकर्ता और सूचना के अधिकार कार्यकर्ता विजय कुंभार ने पूछा कि इसके पीछे असल वजह क्या है?
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस टेंडर की लागत 12,000 करोड़ रुपये है। इसमें 'सुमित फैसिलिटीज' की 55 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि स्पेन स्थित कंपनियों 'एसएसजी' और 'बीवीजी' को शेष हिस्सा मिला। लेकिन आरोप है कि यह टेंडर बाजार मूल्य से तीन गुना ज़्यादा कीमत पर दिया गया। इससे सरकार पर 10 साल में 6,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता, पारदर्शिता की कमी और कुछ ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के गंभीर आरोप हैं।
विजय कुंभार ने इस मामले में 4 बिंदुओं का ज़िक्र किया है।
यह टेंडर सिर्फ़ एक कंपनी के लिए तैयार किया गया था। 'सुमित फैसिलिटीज' को इसमें कोई अनुभव नहीं है, फिर भी उन्हें लाल कालीन पहना दिया गया।
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस खरीदने की लागत 637 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गई। इससे सरकारी खजाने पर 30,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
अमित सालुंखे और उनके भाई पहले भी सफाई, कचरा और उल्हासनगर टेंडर घोटालों में शामिल रहे हैं।
इस टेंडर का मसौदा सीधे ठेकेदार के कार्यालय में तैयार किया गया था, जो फोरेंसिक जाँच में साबित हो चुका है। इसकी गहन जाँच होनी चाहिए।
विजय कुंभार इस मामले पर लगातार नज़र रखे हुए हैं। उन्होंने टेंडर में हुई गड़बड़ियों और अनियमितताओं को उजागर किया है। उनका आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया कुछ खास ठेकेदारों को ध्यान में रखकर की गई थी।
इस टेंडर मामले में न केवल अमित सालुंखे, बल्कि उनके भाई सुमित सालुंखे का नाम भी सामने आया है। वह पहले भी पुणे और उल्हासनगर में सफाई और कचरा टेंडर घोटालों में शामिल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सालुंखे बंधुओं को तत्कालीन सरकार के नेताओं का समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत के कार्यकाल में भी नई एम्बुलेंस की आपूर्ति नहीं की गई थी और आज भी पुरानी एम्बुलेंस ही इस्तेमाल की जा रही हैं।
महाराष्ट्र में एम्बुलेंस टेंडर घोटाले ने एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। हालाँकि झारखंड शराब घोटाला मामले में अमित सालुंखे की गिरफ्तारी हो गई है, लेकिन महाराष्ट्र में भी 12,000 करोड़ रुपये के टेंडर मामले की जाँच में तेज़ी आने की संभावना है। टेंडर में गड़बड़ियों, तीन गुनी कीमतें और कुछ ठेकेदारों को फ़ायदा पहुँचाने के आरोपों को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले की पूरी जाँच होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह घोटाला सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित रहेगा?