ताज़ा खबर

उपेक्षा से ग्रामीण नाराज

अधिकारियों की टोल वसूली से ग्रामीण नाराज़
गोंदिया, दिनांक 26 गोंदिया जिले में जलजीवन मिशन के तहत सैकड़ों योजनाएँ लालफीताशाही में फंसी हुई हैं। जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। हालाँकि, नागपुर जिले में लंबित कार्यों के निपटारे में तेज़ी आई है।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को अधिकारियों को नागपुर जिले में जलजीवन मिशन के तहत योजनाओं के लंबित कार्यों को 10 अगस्त, 2025 तक पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने नागपुर जिले की योजनाओं की समीक्षा की। गोंदिया जिले में मंदी का आलम है। चूँकि इस जिले के पालक मंत्री अतिथि मंत्री हैं, इसलिए सैकड़ों योजनाएँ तीन-चार साल से अटकी हुई हैं। डोंगरगाँव (खज़री) में योजना में टोल वसूली जारी है। जिला परिषद के जल आपूर्ति अधिकारी ग्रामीणों को पुतली को क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना से जोड़ने के लिए ग्राम सभा का प्रस्ताव देने के लिए कब कहते हैं? ग्रामीणों द्वारा प्रस्ताव देने के बाद उन्हें बताया जाता है। यह योजना तुरंत शुरू नहीं होगी। दूसरी ओर, एक करोड़ रुपये की स्वीकृत जल आपूर्ति योजना को रोका जा रहा है। ग्रामीण इस टोल रोड से तंग आ चुके हैं। उनकी माँग है कि ज़िला कलेक्टर इस मुद्दे पर एक बैठक कर समन्वय स्थापित करें।
पुल का मुद्दा
दूसरा मुद्दा डोंगरगाँव-रेगेनपार पुल का है। यह पुल पंद्रह साल से अटका हुआ है। पुल का शिलान्यास तत्कालीन सांसद प्रफुल्ल पटेल ने किया था। तब से यह पुल अटका हुआ है। इस बीच, नाना पटोले और सुनील मेंढे सांसद बन गए। अब प्रमोद पडोले सांसद हैं। इस दौरान, तीनों में से किसी ने भी पुल के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। इसी बीच, ज़िला कलेक्टर गोटमारे आए। उन्होंने पुल के मुद्दे पर कम से कम 15 बैठकें कीं। उन्होंने आने वाली परेशानियों को देखते हुए कई आदेश बदले और पुल का काम पटरी पर लाया। बस काम का ठेका जारी करना बाकी था। इसी बीच, उनका तबादला हो गया। अब एक साल बीत चुका है। पुल का ठेका अभी भी अधर में लटका हुआ है। साब के वरिष्ठ अधिकारी नए काम में ज़्यादा रुचि रखते हैं। ग्रामीण इस स्थिति में हैं कि अगर बाढ़ में जान-माल का नुकसान हुआ तो वे जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएँगे।
परसोड़ी बाईपास रोड
जब ज़िले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने ज़िला योजना समिति की बैठक में परसोड़ी बाईपास रोड के लिए एक करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का आदेश दिया था, तब परसोड़ी ग्राम पंचायत को एक पत्र दिया गया था। इस घटना को डेढ़-दो साल बीत चुके हैं। लेकिन बाईपास का कोई अता-पता नहीं है। ग्राम पंचायत के अधिकारी पत्र लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। ये तीन ज्वलंत मुद्दे सड़क/अर्जुनी तालुका के कम से कम दस-पंद्रह गाँवों से जुड़े हैं। सांसदों और विधायकों की ओर से घोर लापरवाही बरती जा रही है। अगर 2025 में इस मुद्दे का समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के घरों पर धरना देने का साहसिक कार्यक्रम चलाने की तैयारी कर रहे हैं।

Releated