
निशुल्क शिक्षा : बालिकाओं के लिए निशुल्क उच्च शिक्षा योजना को प्रभावी ढंग से लागू करें, मंत्री ने दिए सीधे आदेश
मुंबई : सरकारी, अनुदान प्राप्त, आंशिक अनुदान प्राप्त, स्थायी गैर अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों-तकनीकों के साथ-साथ सार्वजनिक और सरकारी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षण और परीक्षा शुल्क में 100 प्रतिशत छूट दी जा रही है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने निर्देश दिया कि इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और कोई भी बालिका इस योजना से वंचित न रहे, सभी महाविद्यालय इस बात का गंभीरता से ध्यान रखें।
लड़कियों के लिए निशुल्क उच्च शिक्षा योजना के कार्यान्वयन के संबंध में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल की अध्यक्षता में मंत्रालय में बैठक हुई। इस बैठक में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बी. वेणुगोपाल रेड्डी, तकनीकी शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद मोहितकर, उच्च शिक्षा निदेशक शैलेंद्र देवलंकर, उप सचिव खोरगड़े और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि सीएपी प्रक्रिया के माध्यम से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले पात्र विद्यार्थियों से प्रवेश के समय कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। पाटिल ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि संस्थानों ने पिछले वर्ष शुल्क लिया है तो उसे वापस किया जाए। छात्रवृत्ति की राशि सीधे संस्थान के खाते में जमा की जाती है और परीक्षा शुल्क छात्रों के आधार से जुड़े खाते में जमा किया जाता है। तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने एक हेल्पलाइन और हेल्प डेस्क सक्रिय किया है और शुल्क वसूली के संबंध में सभी शिकायतों का तुरंत समाधान किया जा रहा है। उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि इसके लिए एक विशेष नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा रहा है। राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज शिक्षा शुल्क छात्रवृत्ति योजना के तहत तकनीकी शिक्षा से 1 लाख 3 हजार 615 लड़कियों को 16 जून, 2025 तक 784.46 करोड़ रुपये का सीधा लाभ दिया गया है। इसके अलावा, उच्च शिक्षा से 16 जून, 2025 तक 1 लाख 32 हजार 188 आवेदन प्राप्त हुए। जिनमें से 61 हजार 526 छात्रों को 55.83 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। शेष आवेदनों का सत्यापन अंतिम चरण में है। यह भी बताया गया कि योजना का लाभ केवल डिप्लोमा पाठ्यक्रमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एमबीए, एमसीए, एम.फार्मा जैसे स्नातकोत्तर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में भी विद्यार्थियों को 100 प्रतिशत शुल्क रियायत का लाभ दिया जा रहा है।
मुंबई : सरकारी, अनुदान प्राप्त, आंशिक अनुदान प्राप्त, स्थायी गैर अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों-तकनीकों के साथ-साथ सार्वजनिक और सरकारी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षण और परीक्षा शुल्क में 100 प्रतिशत छूट दी जा रही है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने निर्देश दिया कि इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और कोई भी बालिका इस योजना से वंचित न रहे, सभी महाविद्यालय इस बात का गंभीरता से ध्यान रखें।
लड़कियों के लिए निशुल्क उच्च शिक्षा योजना के कार्यान्वयन के संबंध में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल की अध्यक्षता में मंत्रालय में बैठक हुई। इस बैठक में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बी. वेणुगोपाल रेड्डी, तकनीकी शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद मोहितकर, उच्च शिक्षा निदेशक शैलेंद्र देवलंकर, उप सचिव खोरगड़े और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि सीएपी प्रक्रिया के माध्यम से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले पात्र विद्यार्थियों से प्रवेश के समय कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। पाटिल ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि संस्थानों ने पिछले वर्ष शुल्क लिया है तो उसे वापस किया जाए। छात्रवृत्ति की राशि सीधे संस्थान के खाते में जमा की जाती है और परीक्षा शुल्क छात्रों के आधार से जुड़े खाते में जमा किया जाता है। तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने एक हेल्पलाइन और हेल्प डेस्क सक्रिय किया है और शुल्क वसूली के संबंध में सभी शिकायतों का तुरंत समाधान किया जा रहा है। उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि इसके लिए एक विशेष नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा रहा है। राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज शिक्षा शुल्क छात्रवृत्ति योजना के तहत तकनीकी शिक्षा से 1 लाख 3 हजार 615 लड़कियों को 16 जून, 2025 तक 784.46 करोड़ रुपये का सीधा लाभ दिया गया है। इसके अलावा, उच्च शिक्षा से 16 जून, 2025 तक 1 लाख 32 हजार 188 आवेदन प्राप्त हुए। जिनमें से 61 हजार 526 छात्रों को 55.83 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। शेष आवेदनों का सत्यापन अंतिम चरण में है। यह भी बताया गया कि योजना का लाभ केवल डिप्लोमा पाठ्यक्रमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एमबीए, एमसीए, एम.फार्मा जैसे स्नातकोत्तर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में भी विद्यार्थियों को 100 प्रतिशत शुल्क रियायत का लाभ दिया जा रहा है।
लड़कियों के लिए निशुल्क उच्च शिक्षा योजना के कार्यान्वयन के संबंध में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल की अध्यक्षता में मंत्रालय में बैठक हुई। इस बैठक में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बी. वेणुगोपाल रेड्डी, तकनीकी शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद मोहितकर, उच्च शिक्षा निदेशक शैलेंद्र देवलंकर, उप सचिव खोरगड़े और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि सीएपी प्रक्रिया के माध्यम से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले पात्र विद्यार्थियों से प्रवेश के समय कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। पाटिल ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि संस्थानों ने पिछले वर्ष शुल्क लिया है तो उसे वापस किया जाए। छात्रवृत्ति की राशि सीधे संस्थान के खाते में जमा की जाती है और परीक्षा शुल्क छात्रों के आधार से जुड़े खाते में जमा किया जाता है। तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने एक हेल्पलाइन और हेल्प डेस्क सक्रिय किया है और शुल्क वसूली के संबंध में सभी शिकायतों का तुरंत समाधान किया जा रहा है। उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि इसके लिए एक विशेष नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा रहा है। राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज शिक्षा शुल्क छात्रवृत्ति योजना के तहत तकनीकी शिक्षा से 1 लाख 3 हजार 615 लड़कियों को 16 जून, 2025 तक 784.46 करोड़ रुपये का सीधा लाभ दिया गया है। इसके अलावा, उच्च शिक्षा से 16 जून, 2025 तक 1 लाख 32 हजार 188 आवेदन प्राप्त हुए। जिनमें से 61 हजार 526 छात्रों को 55.83 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। शेष आवेदनों का सत्यापन अंतिम चरण में है। यह भी बताया गया कि योजना का लाभ केवल डिप्लोमा पाठ्यक्रमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एमबीए, एमसीए, एम.फार्मा जैसे स्नातकोत्तर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में भी विद्यार्थियों को 100 प्रतिशत शुल्क रियायत का लाभ दिया जा रहा है।