ताज़ा खबर

बीएमसी चुनाव में ठाकरे-शिंदे में टक्कर! शिंदे सेना की मुंबई पर कब्जे की साजिश?

मुंबई, 18 जून, 2025: आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में शिवसेना (शिंदे गुट) और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के बीच टकराव तेज होने के संकेत मिल रहे हैं। शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और सांसद श्रीकांत शिंदे ने मुंबई महानगरपालिका चुनाव के लिए गहन तैयारियां शुरू कर दी हैं। शिंदे गुट ने खास तौर पर बांद्रा इलाके पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां उद्धव ठाकरे रहते हैं, जहां आदित्य ठाकरे का प्रभाव है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि इस चुनाव में आदित्य ठाकरे और श्रीकांत शिंदे के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है।
शिवसेना (शिंदे गुट) महायुति के बल पर बीएमसी में सत्ता हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्प है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने खुद घोषणा की है कि महायुति (भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस) सभी 227 वार्डों में मिलकर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने मुंबई को देश की आर्थिक 'शक्ति' बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए शिंदे गुट ने 2017 में उद्धव ठाकरे की शिवसेना द्वारा जीती गई 84 सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है।
दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ठाकरे गुट पिछले 25 सालों से बीएमसी में मेयर है और उन्हें इस साल भी अपनी पकड़ बरकरार रखने का भरोसा है। वहीं, राज ठाकरे की एमएनएस के साथ गठबंधन की बातचीत जारी रहने से ठाकरे गुट को मजबूती मिलने की संभावना है। भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अगर ठाकरे बंधु साथ आते हैं तो यह चुनाव महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकता है।
भाजपा ने अपनी रणनीति पर भी काम करना शुरू कर दिया है। 2017 में 82 सीटें जीतने वाली भाजपा ने इस साल 150 से ज्यादा सीटें जीतने का नारा दिया है। हालांकि, मुंबई में ठाकरे गुट की मजबूत पकड़ और मराठी अस्मिता की भावना शिंदे गुट और भाजपा को कड़ी चुनौती दे सकती है।
बांद्रा सुर्खियों में: श्रीकांत शिंदे ने बांद्रा इलाके पर फोकस किया है, जहां "मातोश्री" उद्धव ठाकरे का निवास है। 10 और 11 अप्रैल को श्रीकांत शिंदे ने मुंबई के दक्षिण-मध्य और उत्तर-मध्य इलाकों का जायजा लिया था। वे स्थानीय पदाधिकारियों को सक्रिय करने के लिए बैठकें करने की योजना बना रहे हैं, जिससे इस चुनाव का माहौल गरमाने की संभावना है।
राजनीतिक समीकरण: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और मनसे के बीच संभावित गठबंधन से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में कुछ बदलाव आने की संभावना है। दूसरी ओर शिंदे गुट और भाजपा के महागठबंधन ने ठाकरे गुट को मात देने के लिए आक्रामक रणनीति बनाई है। इसके चलते बीएमसी चुनाव सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि ठाकरे और शिंदे के बीच राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई होगी।
मराठी अस्मिता, हिंदुत्व और स्थानीय मुद्दे इस चुनाव के केंद्र में होंगे। मुंबईकर अब इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच होने वाले मुकाबले को उत्सुकता से देख रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह चुनाव मुंबई की राजनीति में नया इतिहास रच पाएगा।

Releated