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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष का भव्य समारोह; मोहन भागवत का मार्मिक भाषण

आरएसएस की 100 वर्ष की यात्रा का उत्साहपूर्ण उत्सव
नागपुर, 2 अक्टूबर, 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आज 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं और इस ऐतिहासिक उपलब्धि के उपलक्ष्य में नागपुर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का समापन विजयादशमी के पावन अवसर पर हुआ, जिसमें आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उपस्थित स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में हजारों स्वयंसेवक, समर्थक और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
कार्यक्रम की धूमधाम और उत्साह
नागपुर के रेशमबाग स्थित संघ मुख्यालय में शताब्दी समारोह बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह शुरू हुए कार्यक्रम में पारंपरिक शस्त्र पूजन और एक शोभायात्रा शामिल थी। स्वयंसेवकों ने गणवेश में मार्च किया और राष्ट्रीय एकता और अनुशासन का संदेश दिया। इस अवसर पर, उपस्थित लोग "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारों से गूंजते हुए परिसर से बाहर निकले।
मोहन भागवत का मार्मिक भाषण
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण मोहन भागवत का भाषण रहा। उन्होंने संघ की 100 वर्षों की यात्रा की समीक्षा की और देश की प्रगति में संघ के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर ज़ोर देते हुए कहा, "पहलगाम की घटना ने हमें सिखाया कि कौन दुश्मन है और कौन दोस्त।" भागवत ने आगे कहा, "संघ ने हमेशा देश की एकता और सामाजिक समरसता के लिए काम किया है। हम सभी को समाज के हर वर्ग को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा।"
संघ की 100 वर्षों की यात्रा
1925 में, डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। तब से, संघ ने सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संघ के स्वयंसेवकों ने आपदा प्रबंधन, शिक्षा, ग्रामीण विकास और सामाजिक जागरूकता जैसे क्षेत्रों में अथक परिश्रम किया है। आज, देश भर में संघ की लाखों शाखाएँ कार्यरत हैं और करोड़ों स्वयंसेवक इस आंदोलन में शामिल हो चुके हैं।
भविष्य की दृष्टि
मोहन भागवत ने अपने भाषण में संघ की भावी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हमारा देश इस समय अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। लेकिन, एकजुट होकर और सकारात्मक दृष्टिकोण से, हम इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।" उन्होंने युवाओं से देश सेवा के लिए आगे आने का आह्वान किया और सामाजिक समरसता के माध्यम से देश को आगे ले जाने का संकल्प व्यक्त किया।
उपस्थित लोगों का उत्साह
शताब्दी समारोह में उपस्थित स्वयंसेवकों और नागरिकों ने इस कार्यक्रम को अभूतपूर्व समर्थन दिया। एक स्वयंसेवक ने कहा, "संघ ने हमें अनुशासन, देशभक्ति और सामाजिक प्रतिबद्धता का पाठ पढ़ाया है।" स्थानीय नागरिकों ने भी इस कार्यक्रम की सराहना की और संघ के कार्यों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।
निष्कर्ष
यह शताब्दी समारोह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गौरवशाली इतिहास और उसके भविष्य के पथ में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। विजयादशमी के इस पावन अवसर पर, संघ ने एक बार फिर देश के प्रति एकता और समर्पण का संदेश दिया। नागपुर में यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि देश की प्रगति और एकता के लिए संघ की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

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