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आरएसएस शताब्दी समारोह में भागवत ने वांगचुक की गिरफ्तारी पर संयम बरतने की अपील की: 'हिंसा से नहीं, लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बदलाव लाएँ'

नागपुर, 2 अक्टूबर, 2025 (रिपोर्टर: ग्रोक न्यूज़ डेस्क) – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का भव्य शताब्दी समारोह आज विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में मनाया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में, आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने लाखों की संख्या में उपस्थित स्वयंसेवकों के समक्ष एक महत्वपूर्ण भाषण दिया। इस भाषण में, उन्होंने लद्दाख में पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी की और लोकतांत्रिक तरीकों से बदलाव लाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, "परिवर्तन हिंसा से नहीं, बल्कि लोकतंत्र के ढांचे के भीतर शांतिपूर्ण तरीके से लाया जाना चाहिए।" इस संदेश को वांगचुक की गिरफ्तारी से जोड़कर देखा जा रहा है और यह देश में बढ़ते आंदोलनों के लिए संयम का सबक साबित हो रहा है।
आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर यह कार्यक्रम विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। 1925 में, डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में संघ की स्थापना की। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। लगभग 21,000 स्वयंसेवकों ने नागपुर के रेसकोर्स मैदान में एक अनुशासित जुलूस निकाला, जहाँ उन्होंने संघ के आदर्शों की समीक्षा की। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. हेडगेवार के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुई, जिसके दौरान भागवत ने संघ के विकास का श्रेय संस्थापक को दिया। भागवत ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, "संघ एक वट वृक्ष की तरह बन गया है, जिसने पूरे देश में सेवा और समर्पण की अपनी छत्रछाया फैलाई है।"
इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि में, लद्दाख के नवीनतम घटनाक्रमों की ओर सभी का ध्यान आकर्षित हुआ। पर्यावरण कार्यकर्ता और इंजीनियर सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लेह पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत की गई थी। वांगचुक के नेतृत्व वाले आंदोलन ने लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के संरक्षण की मांग की थी। हालांकि, 24 सितंबर को लेह में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में चार लोग मारे गए और कई घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति पर हमला किया, जिसके कारण मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा के लिए वांगचुक के 'भड़काऊ' भाषण को ज़िम्मेदार ठहराया। उनके एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया है और उन पर विदेशी धन के दुरुपयोग के आरोप हैं।
इस संदर्भ में भागवत का बयान महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने भाषण में कहा, "देश के कुछ हिस्सों में असंतोष है। इस असंतोष का समाधान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के ज़रिए किया जाना चाहिए। हम हिंसा या विदेशी ताकतों से प्रेरित किसी भी आंदोलन का विरोध करते हैं। हम नेपाल जैसी अस्थिरता भारत में नहीं आने देंगे।" वांगचुक की गिरफ़्तारी का सीधे ज़िक्र किए बिना, उन्होंने पर्यावरण और स्वदेशी अधिकारों की माँग का समर्थन करते हुए कहा, "पर्यावरण संरक्षण राष्ट्रीय हित में है, लेकिन इसे शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए। सरकार और नागरिकों के बीच संवाद बढ़ाया जाना चाहिए। अगर बदलाव की माँग भी है, तो वह हिंसा के ज़रिए नहीं, बल्कि निर्वाचन क्षेत्रों और चुनावों के ज़रिए होनी चाहिए।" राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान सोनम वांगचुक के 'अरब स्प्रिंग' जैसी क्रांतियों का संदर्भ है।
लद्दाख आंदोलन की पृष्ठभूमि
सोनम वांगचुक लद्दाख के एक प्रसिद्ध इंजीनियर हैं और फिल्म '3 इडियट्स' की प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने SEMOL (स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड म्यूजिक सोसाइटी) नामक संस्था की स्थापना की, जो स्थानीय बच्चों को शिक्षा और पर्यावरण जागरूकता प्रदान करती है। 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद से लद्दाख में असंतोष बढ़ा है। वांगचुक के नेतृत्व में, लेह एपेक्स बॉडी (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) जैसे संगठन राज्य का दर्जा, नौकरियों में आरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे हैं। मार्च 2024 में, उन्होंने कड़ाके की ठंड में भूख हड़ताल की थी, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था। हालाँकि, लगातार जारी आंदोलन के कारण तनाव पैदा हो गया और सितंबर में हिंसा भड़क उठी। वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने उनकी रिहाई के लिए दिल्ली में एक कैंडल मार्च का नेतृत्व किया।
भागवत के भाषण में आरएसएस के शताब्दी वर्ष की समीक्षा की गई। उन्होंने कहा, "संघ ने 100 वर्षों तक सेवा, अनुशासन और देशभक्ति की शिक्षा दी है। आज भी, हम हिंदू समुदाय को 'हम बनाम वे' की मानसिकता से मुक्त रखते हैं। हमारा उद्देश्य सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।" उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए 26 भारतीयों को श्रद्धांजलि दी और सरकार की कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "यह गर्व की बात है कि सरकार ने आतंकवाद को रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया है।"
इस कार्यक्रम में पारंपरिक खेल, व्यायाम और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल थे, जिसमें स्वयंसेवकों ने भाग लिया। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने अपने भाषण में संघ के योगदान की प्रशंसा की और कहा, "संघ ने देश की एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।" महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य नेता भी मौजूद थे।
इस बयान की राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर (अब एक्स) पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "लोकतंत्र में असहमति को दबाया नहीं जा सकता। वांगचुक की गिरफ्तारी गलत है।" दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने भागवत के संदेश का स्वागत किया। विश्लेषकों के अनुसार, यह घोषणा आरएसएस की 'समावेशी' छवि को मज़बूत करने के लिए है, खासकर शताब्दी वर्ष में।
आरएसएस के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की घोषणा की गई। अक्टूबर 2025 से अक्टूबर 2026 तक देश भर में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी, जिनमें स्वयंसेवक घर-घर जाकर संघ के आदर्शों का प्रचार करेंगे।

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