
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह पर डाक टिकट और सिक्का जारी किया; स्टालिन ने की आलोचना
प्रधानमंत्री ने आरएसएस के शताब्दी समारोह को श्रद्धांजलि दी; तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने की निंदा
नागपुर, 3 अक्टूबर, 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह पर एक विशेष डाक टिकट और एक स्मारक सिक्का जारी किया। यह कार्यक्रम नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में आयोजित किया गया, जहाँ प्रधानमंत्री ने संघ की शताब्दी यात्रा की सराहना की और इसके योगदान को राष्ट्रीय महत्व दिया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री और कई प्रमुख नेता शामिल हुए।
अपने भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान पर प्रकाश डाला। मोदी ने कहा, "पिछले सौ वर्षों में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए अथक प्रयास किया है। इसके स्वयंसेवक हमेशा आपदा के समय, सामाजिक सुधारों और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी रहे हैं।" उन्होंने इस डाक टिकट और सिक्के के माध्यम से संघ के कार्यों को ऐतिहासिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
डाक टिकट और सिक्के की विशेषताएँ
नया जारी किया गया डाक टिकट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह का प्रतीक है, जिस पर संघ का प्रतीक चिह्न और इसकी स्थापना तिथि (27 सितंबर, 1925) अंकित है। स्मारक सिक्के पर आरएसएस के योगदानों का भी चित्रण है। डाक विभाग ने कहा कि यह सिक्के और टिकट संग्राहकों के लिए एक विशेष आकर्षण होगा।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की आलोचना
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस आयोजन की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस फैसले को "राज्य सत्ता का दुरुपयोग" करार दिया और सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया। स्टालिन ने अपने बयान में कहा, "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक वैचारिक संगठन है, और इसकी विचारधारा को देश के सभी हिस्सों ने स्वीकार नहीं किया है। राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे संगठन को बढ़ावा देना लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला है।" उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को ऐसी नीतियाँ लागू करनी चाहिए जो सभी धर्मों और विचारधाराओं का सम्मान करें।
आरएसएस का इतिहास और कार्य
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। पिछले सौ वर्षों में, संघ ने शिक्षा, समाज सेवा और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संघ के स्वयंसेवक देश भर में विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। हालाँकि, कुछ राजनीतिक दलों और समूहों की विचारधारा और कार्यप्रणालियों की आलोचना की जाती है, जिसके कारण संघ हमेशा से एक विवादास्पद विषय रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस समारोह और डाक टिकटों व सिक्कों के विमोचन का कुछ राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है, जबकि अन्य ने इस पर आपत्ति जताई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे संघ के योगदान के प्रति श्रद्धांजलि बताया है। दूसरी ओर, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे "वैचारिक पूर्वाग्रह" करार दिया है।
प्रधानमंत्री ने आरएसएस के शताब्दी समारोह को श्रद्धांजलि दी; तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने की निंदा
नागपुर, 3 अक्टूबर, 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह पर एक विशेष डाक टिकट और एक स्मारक सिक्का जारी किया। यह कार्यक्रम नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में आयोजित किया गया, जहाँ प्रधानमंत्री ने संघ की शताब्दी यात्रा की सराहना की और इसके योगदान को राष्ट्रीय महत्व दिया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री और कई प्रमुख नेता शामिल हुए।
अपने भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान पर प्रकाश डाला। मोदी ने कहा, "पिछले सौ वर्षों में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए अथक प्रयास किया है। इसके स्वयंसेवक हमेशा आपदा के समय, सामाजिक सुधारों और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी रहे हैं।" उन्होंने इस डाक टिकट और सिक्के के माध्यम से संघ के कार्यों को ऐतिहासिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
डाक टिकट और सिक्के की विशेषताएँ
नया जारी किया गया डाक टिकट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह का प्रतीक है, जिस पर संघ का प्रतीक चिह्न और इसकी स्थापना तिथि (27 सितंबर, 1925) अंकित है। स्मारक सिक्के पर आरएसएस के योगदानों का भी चित्रण है। डाक विभाग ने कहा कि यह सिक्के और टिकट संग्राहकों के लिए एक विशेष आकर्षण होगा।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की आलोचना
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस आयोजन की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस फैसले को "राज्य सत्ता का दुरुपयोग" करार दिया और सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया। स्टालिन ने अपने बयान में कहा, "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक वैचारिक संगठन है, और इसकी विचारधारा को देश के सभी हिस्सों ने स्वीकार नहीं किया है। राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे संगठन को बढ़ावा देना लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला है।" उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को ऐसी नीतियाँ लागू करनी चाहिए जो सभी धर्मों और विचारधाराओं का सम्मान करें।
आरएसएस का इतिहास और कार्य
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। पिछले सौ वर्षों में, संघ ने शिक्षा, समाज सेवा और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संघ के स्वयंसेवक देश भर में विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। हालाँकि, कुछ राजनीतिक दलों और समूहों की विचारधारा और कार्यप्रणालियों की आलोचना की जाती है, जिसके कारण संघ हमेशा से एक विवादास्पद विषय रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस समारोह और डाक टिकटों व सिक्कों के विमोचन का कुछ राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है, जबकि अन्य ने इस पर आपत्ति जताई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे संघ के योगदान के प्रति श्रद्धांजलि बताया है। दूसरी ओर, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे "वैचारिक पूर्वाग्रह" करार दिया है।
नागपुर, 3 अक्टूबर, 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह पर एक विशेष डाक टिकट और एक स्मारक सिक्का जारी किया। यह कार्यक्रम नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में आयोजित किया गया, जहाँ प्रधानमंत्री ने संघ की शताब्दी यात्रा की सराहना की और इसके योगदान को राष्ट्रीय महत्व दिया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री और कई प्रमुख नेता शामिल हुए।
अपने भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान पर प्रकाश डाला। मोदी ने कहा, "पिछले सौ वर्षों में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए अथक प्रयास किया है। इसके स्वयंसेवक हमेशा आपदा के समय, सामाजिक सुधारों और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी रहे हैं।" उन्होंने इस डाक टिकट और सिक्के के माध्यम से संघ के कार्यों को ऐतिहासिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
डाक टिकट और सिक्के की विशेषताएँ
नया जारी किया गया डाक टिकट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह का प्रतीक है, जिस पर संघ का प्रतीक चिह्न और इसकी स्थापना तिथि (27 सितंबर, 1925) अंकित है। स्मारक सिक्के पर आरएसएस के योगदानों का भी चित्रण है। डाक विभाग ने कहा कि यह सिक्के और टिकट संग्राहकों के लिए एक विशेष आकर्षण होगा।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की आलोचना
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस आयोजन की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस फैसले को "राज्य सत्ता का दुरुपयोग" करार दिया और सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया। स्टालिन ने अपने बयान में कहा, "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक वैचारिक संगठन है, और इसकी विचारधारा को देश के सभी हिस्सों ने स्वीकार नहीं किया है। राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे संगठन को बढ़ावा देना लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला है।" उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को ऐसी नीतियाँ लागू करनी चाहिए जो सभी धर्मों और विचारधाराओं का सम्मान करें।
आरएसएस का इतिहास और कार्य
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। पिछले सौ वर्षों में, संघ ने शिक्षा, समाज सेवा और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संघ के स्वयंसेवक देश भर में विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। हालाँकि, कुछ राजनीतिक दलों और समूहों की विचारधारा और कार्यप्रणालियों की आलोचना की जाती है, जिसके कारण संघ हमेशा से एक विवादास्पद विषय रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस समारोह और डाक टिकटों व सिक्कों के विमोचन का कुछ राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है, जबकि अन्य ने इस पर आपत्ति जताई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे संघ के योगदान के प्रति श्रद्धांजलि बताया है। दूसरी ओर, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे "वैचारिक पूर्वाग्रह" करार दिया है।