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रामनाथ कोविंद ने दीक्षाभूमि को श्रद्धांजलि अर्पित की, RSS स्थापना दिवस पर सामाजिक समानता का संदेश दिया

नागपुर, 2 अक्टूबर, 2025: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हाल ही में नागपुर आए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विजयादशमी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। नागपुर पहुँचने के बाद, उन्होंने सबसे पहले दीक्षाभूमि का दौरा किया, जहाँ समाज सुधारक और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था। पूर्व राष्ट्रपति ने इस पवित्र स्थल पर प्रार्थना की और डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
दीक्षाभूमि: सामाजिक समानता और प्रेरणा का स्थल
दीक्षाभूमि केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और समता का प्रतीक भी है। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने यहाँ प्रार्थना करते हुए डॉ. अंबेडकर के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी यात्रा के माध्यम से सामाजिक एकता और समानता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि दीक्षाभूमि आने का उद्देश्य सामाजिक सुधार और समानता के मूल्यों का समर्थन करना है।
आरएसएस विजयादशमी समारोह: सामाजिक एकता का संदेश
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विजयादशमी समारोह में अपने भाषण में पूर्व राष्ट्रपति ने सामाजिक एकता और समानता की वकालत की। उन्होंने आरएसएस के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संघ ने हमेशा जातिवाद और अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। अपने भाषण में उन्होंने डॉ. अंबेडकर सहित अन्य दलित महापुरुषों के योगदान का उल्लेख किया और उनके कार्यों को श्रद्धांजलि दी।
कोविंद ने अपने भाषण में कहा, "जातिवाद और अस्पृश्यता हमारे समाज की सीमाएँ हैं, जिन्हें दूर करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। आरएसएस ने इस दिशा में लगातार काम किया है और सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लाने का प्रयास किया है।"
भाषण के मुख्य बिंदु
अपने भाषण में पूर्व राष्ट्रपति ने सामाजिक समानता, शिक्षा और समावेशी विकास पर ज़ोर दिया। उन्होंने संविधान में डॉ. अंबेडकर के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया और देश के प्रत्येक नागरिक से संविधान के मूल्यों का पालन करने की अपील की। ​​उन्होंने आरएसएस स्वयंसेवकों से सामाजिक सुधारों के लिए और अधिक सक्रिय होने और समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने का प्रयास करने का आग्रह किया।
नागपुर और आरएसएस के बीच ऐतिहासिक संबंध
नागपुर आरएसएस का मुख्यालय है और यहाँ हर साल विजयादशमी उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष के आयोजन में पूर्व राष्ट्रपति की उपस्थिति विशेष रही। उनके दौरे और भाषण ने सामाजिक समानता के संदेश को और प्रभावी ढंग से पहुँचाया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी सभा को संबोधित किया और देश में सामाजिक एकता के मुद्दे पर बात की।
राजनीतिक निहितार्थ
पूर्व राष्ट्रपति के दौरे और उनके भाषण में सामाजिक समानता के मुद्दों ने राजनीतिक हलकों में भी चर्चा शुरू कर दी है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कोविंद का भाषण और दीक्षाभूमि का उनका दौरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सामाजिक समावेश के मुद्दे पर और मज़बूती प्रदान कर सकता है। विशेष रूप से, यह दौरा दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के बीच भाजपा का प्रभाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नागपुर दौरे, दीक्षाभूमि के उनके दौरे और आरएसएस के विजयादशमी समारोह में उनकी भागीदारी ने सामाजिक समानता के संदेश को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। उनके भाषण ने सामाजिक एकता, समानता और संविधान के मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डाला। नागपुर की घटना ने सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से महत्वपूर्ण चर्चाओं को जन्म दिया है।

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