
बिहार में पूर्णिया रेल हादसा: दशहरा मेले की खुशियों को मातम ने किया फीका
पूर्णिया, बिहार (3 अक्टूबर, 2025): बिहार के पूर्णिया जिले में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। शुक्रवार सुबह जोगबनी-दानापुर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन ने दशहरा उत्सव में भाग ले रहे छह लोगों को टक्कर मार दी। इस भीषण हादसे में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए। कटिहार-जोगबनी रेलवे ट्रैक पर जबलपुर में हुए इस हादसे ने स्थानीय लोक प्रशासन और रेलवे व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नेताओं और निवासियों का कहना है कि यह घटना महज एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि रेलवे सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को भी दर्शाती है।
हादसा शुक्रवार सुबह करीब 5 बजे हुआ। दशहरा मेले में भाग लेने के बाद घर लौट रहे पीड़ित पटरी पार कर रहे थे। तेज रफ्तार वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन ने अचानक उन्हें टक्कर मार दी। ट्रेन की गति इतनी तेज थी कि चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बाकी दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए और उनका पूर्णिया के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, घायलों की हालत गंभीर होने के बावजूद, उनकी जान बचाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
हादसे की खबर सुनते ही स्थानीय निवासी मौके पर पहुँचे। उन्होंने घायलों को तुरंत वाहनों में बिठाकर अस्पताल पहुँचाया और पुलिस को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँच गई। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। हालाँकि शुरुआती जाँच में दुर्घटना का सही कारण सामने नहीं आया है, लेकिन ट्रेन की तेज़ गति और पीड़ितों के पटरी पार करते समय सुरक्षा संकेतों की कमी को लेकर संदेह जताया जा रहा है। पूर्णिया ज़िले के अधिकारियों ने कहा, "दुर्घटना की गहन जाँच चल रही है। रेलवे अधिकारियों के साथ एक संयुक्त जाँच समिति का गठन किया गया है। पीड़ितों के परिवारों के लिए तत्काल सहायता और मुआवज़े की व्यवस्था की जाएगी।"
यह घटना बिहार में वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ हुई दूसरी ऐसी दुर्घटना है। ठीक एक हफ्ते बाद, 30 सितंबर, 2025 को, इसी ट्रेन ने सहरसा ज़िले के हटियागाछी रेलवे क्रॉसिंग पर एक युवक को टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद भी रेलवे ने विशेष सुरक्षा उपायों की घोषणा की थी, लेकिन अब इस घटना ने यात्रियों और स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है। वंदे भारत एक्सप्रेस देश की सबसे तेज़ और आधुनिक ट्रेन मानी जाती है, जो जोगबनी-दानापुर रूट पर रोज़ाना चलती है। हालाँकि, ग्रामीण इलाकों में पटरियों पर पैदल यात्री क्रॉसिंग की सुविधा अपर्याप्त होने के कारण, ऐसी दुर्घटनाओं की संभावना हमेशा बनी रहती है। पूर्णिया ज़िला बिहार का एक महत्वपूर्ण ज़िला है, और इसका रेलवे नेटवर्क पूर्वी सीमा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। दशहरा उत्सव के दौरान, बड़ी संख्या में लोग इस इलाके में समारोहों में जाते हैं, जिससे पटरियों पर भीड़ बढ़ जाती है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने कहा, "रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक और सिग्नल सिस्टम की व्यवस्था ज़रूरी है। अक्सर लोगों की जान की परवाह किए बिना ट्रेन की गति कम नहीं की जाती। यह घटना एक चेतावनी है कि आधुनिक ट्रेनों को भी आधुनिक सुरक्षा की ज़रूरत होती है।" इसी तरह, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील कुमार ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "रेल मंत्रालय को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। पीड़ितों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाना चाहिए और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए।"
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया। वे पटरियों को पार करने के लिए एक ओवरब्रिज के निर्माण की मांग कर रहे हैं। ज़िला प्रशासन ने शांति की अपील की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी घटना पर संज्ञान लिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्विटर (अब X) पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "इस दुखद घटना से मन द्रवित है। पीड़ितों को न्याय मिलेगा।"
रेलवे सुरक्षा एक राष्ट्रीय मुद्दा है और देश भर में हर साल ऐसी दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग मारे जाते हैं। अकेले 2024 में बिहार में 150 से ज़्यादा रेल दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रेन की गति नियंत्रण, क्रॉसिंग पर फाटक और जन जागरूकता जैसे उपाय ज़रूरी हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी तेज़ रफ़्तार ट्रेनों के लिए विशेष नियम लागू किए जाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
इस दुर्घटना ने दशहरा उत्सव के उत्साह को फीका कर दिया है और पीड़ित परिवारों में शोक की लहर दौड़ गई है। स्थानीय प्रशासन ने पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और पूरा देश जाँच रिपोर्ट का इंतज़ार करते हुए न्याय की उम्मीद कर रहा है। यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि रेलवे व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
पूर्णिया, बिहार (3 अक्टूबर, 2025): बिहार के पूर्णिया जिले में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। शुक्रवार सुबह जोगबनी-दानापुर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन ने दशहरा उत्सव में भाग ले रहे छह लोगों को टक्कर मार दी। इस भीषण हादसे में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए। कटिहार-जोगबनी रेलवे ट्रैक पर जबलपुर में हुए इस हादसे ने स्थानीय लोक प्रशासन और रेलवे व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नेताओं और निवासियों का कहना है कि यह घटना महज एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि रेलवे सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को भी दर्शाती है।
हादसा शुक्रवार सुबह करीब 5 बजे हुआ। दशहरा मेले में भाग लेने के बाद घर लौट रहे पीड़ित पटरी पार कर रहे थे। तेज रफ्तार वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन ने अचानक उन्हें टक्कर मार दी। ट्रेन की गति इतनी तेज थी कि चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बाकी दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए और उनका पूर्णिया के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, घायलों की हालत गंभीर होने के बावजूद, उनकी जान बचाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
हादसे की खबर सुनते ही स्थानीय निवासी मौके पर पहुँचे। उन्होंने घायलों को तुरंत वाहनों में बिठाकर अस्पताल पहुँचाया और पुलिस को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँच गई। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। हालाँकि शुरुआती जाँच में दुर्घटना का सही कारण सामने नहीं आया है, लेकिन ट्रेन की तेज़ गति और पीड़ितों के पटरी पार करते समय सुरक्षा संकेतों की कमी को लेकर संदेह जताया जा रहा है। पूर्णिया ज़िले के अधिकारियों ने कहा, "दुर्घटना की गहन जाँच चल रही है। रेलवे अधिकारियों के साथ एक संयुक्त जाँच समिति का गठन किया गया है। पीड़ितों के परिवारों के लिए तत्काल सहायता और मुआवज़े की व्यवस्था की जाएगी।"
यह घटना बिहार में वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ हुई दूसरी ऐसी दुर्घटना है। ठीक एक हफ्ते बाद, 30 सितंबर, 2025 को, इसी ट्रेन ने सहरसा ज़िले के हटियागाछी रेलवे क्रॉसिंग पर एक युवक को टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद भी रेलवे ने विशेष सुरक्षा उपायों की घोषणा की थी, लेकिन अब इस घटना ने यात्रियों और स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है। वंदे भारत एक्सप्रेस देश की सबसे तेज़ और आधुनिक ट्रेन मानी जाती है, जो जोगबनी-दानापुर रूट पर रोज़ाना चलती है। हालाँकि, ग्रामीण इलाकों में पटरियों पर पैदल यात्री क्रॉसिंग की सुविधा अपर्याप्त होने के कारण, ऐसी दुर्घटनाओं की संभावना हमेशा बनी रहती है। पूर्णिया ज़िला बिहार का एक महत्वपूर्ण ज़िला है, और इसका रेलवे नेटवर्क पूर्वी सीमा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। दशहरा उत्सव के दौरान, बड़ी संख्या में लोग इस इलाके में समारोहों में जाते हैं, जिससे पटरियों पर भीड़ बढ़ जाती है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने कहा, "रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक और सिग्नल सिस्टम की व्यवस्था ज़रूरी है। अक्सर लोगों की जान की परवाह किए बिना ट्रेन की गति कम नहीं की जाती। यह घटना एक चेतावनी है कि आधुनिक ट्रेनों को भी आधुनिक सुरक्षा की ज़रूरत होती है।" इसी तरह, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील कुमार ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "रेल मंत्रालय को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। पीड़ितों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाना चाहिए और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए।"
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया। वे पटरियों को पार करने के लिए एक ओवरब्रिज के निर्माण की मांग कर रहे हैं। ज़िला प्रशासन ने शांति की अपील की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी घटना पर संज्ञान लिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्विटर (अब X) पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "इस दुखद घटना से मन द्रवित है। पीड़ितों को न्याय मिलेगा।"
रेलवे सुरक्षा एक राष्ट्रीय मुद्दा है और देश भर में हर साल ऐसी दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग मारे जाते हैं। अकेले 2024 में बिहार में 150 से ज़्यादा रेल दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रेन की गति नियंत्रण, क्रॉसिंग पर फाटक और जन जागरूकता जैसे उपाय ज़रूरी हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी तेज़ रफ़्तार ट्रेनों के लिए विशेष नियम लागू किए जाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
इस दुर्घटना ने दशहरा उत्सव के उत्साह को फीका कर दिया है और पीड़ित परिवारों में शोक की लहर दौड़ गई है। स्थानीय प्रशासन ने पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और पूरा देश जाँच रिपोर्ट का इंतज़ार करते हुए न्याय की उम्मीद कर रहा है। यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि रेलवे व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
हादसा शुक्रवार सुबह करीब 5 बजे हुआ। दशहरा मेले में भाग लेने के बाद घर लौट रहे पीड़ित पटरी पार कर रहे थे। तेज रफ्तार वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन ने अचानक उन्हें टक्कर मार दी। ट्रेन की गति इतनी तेज थी कि चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बाकी दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए और उनका पूर्णिया के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, घायलों की हालत गंभीर होने के बावजूद, उनकी जान बचाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
हादसे की खबर सुनते ही स्थानीय निवासी मौके पर पहुँचे। उन्होंने घायलों को तुरंत वाहनों में बिठाकर अस्पताल पहुँचाया और पुलिस को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँच गई। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। हालाँकि शुरुआती जाँच में दुर्घटना का सही कारण सामने नहीं आया है, लेकिन ट्रेन की तेज़ गति और पीड़ितों के पटरी पार करते समय सुरक्षा संकेतों की कमी को लेकर संदेह जताया जा रहा है। पूर्णिया ज़िले के अधिकारियों ने कहा, "दुर्घटना की गहन जाँच चल रही है। रेलवे अधिकारियों के साथ एक संयुक्त जाँच समिति का गठन किया गया है। पीड़ितों के परिवारों के लिए तत्काल सहायता और मुआवज़े की व्यवस्था की जाएगी।"
यह घटना बिहार में वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ हुई दूसरी ऐसी दुर्घटना है। ठीक एक हफ्ते बाद, 30 सितंबर, 2025 को, इसी ट्रेन ने सहरसा ज़िले के हटियागाछी रेलवे क्रॉसिंग पर एक युवक को टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद भी रेलवे ने विशेष सुरक्षा उपायों की घोषणा की थी, लेकिन अब इस घटना ने यात्रियों और स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है। वंदे भारत एक्सप्रेस देश की सबसे तेज़ और आधुनिक ट्रेन मानी जाती है, जो जोगबनी-दानापुर रूट पर रोज़ाना चलती है। हालाँकि, ग्रामीण इलाकों में पटरियों पर पैदल यात्री क्रॉसिंग की सुविधा अपर्याप्त होने के कारण, ऐसी दुर्घटनाओं की संभावना हमेशा बनी रहती है। पूर्णिया ज़िला बिहार का एक महत्वपूर्ण ज़िला है, और इसका रेलवे नेटवर्क पूर्वी सीमा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। दशहरा उत्सव के दौरान, बड़ी संख्या में लोग इस इलाके में समारोहों में जाते हैं, जिससे पटरियों पर भीड़ बढ़ जाती है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने कहा, "रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक और सिग्नल सिस्टम की व्यवस्था ज़रूरी है। अक्सर लोगों की जान की परवाह किए बिना ट्रेन की गति कम नहीं की जाती। यह घटना एक चेतावनी है कि आधुनिक ट्रेनों को भी आधुनिक सुरक्षा की ज़रूरत होती है।" इसी तरह, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील कुमार ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "रेल मंत्रालय को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। पीड़ितों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाना चाहिए और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए।"
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया। वे पटरियों को पार करने के लिए एक ओवरब्रिज के निर्माण की मांग कर रहे हैं। ज़िला प्रशासन ने शांति की अपील की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी घटना पर संज्ञान लिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्विटर (अब X) पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "इस दुखद घटना से मन द्रवित है। पीड़ितों को न्याय मिलेगा।"
रेलवे सुरक्षा एक राष्ट्रीय मुद्दा है और देश भर में हर साल ऐसी दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग मारे जाते हैं। अकेले 2024 में बिहार में 150 से ज़्यादा रेल दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रेन की गति नियंत्रण, क्रॉसिंग पर फाटक और जन जागरूकता जैसे उपाय ज़रूरी हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी तेज़ रफ़्तार ट्रेनों के लिए विशेष नियम लागू किए जाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
इस दुर्घटना ने दशहरा उत्सव के उत्साह को फीका कर दिया है और पीड़ित परिवारों में शोक की लहर दौड़ गई है। स्थानीय प्रशासन ने पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और पूरा देश जाँच रिपोर्ट का इंतज़ार करते हुए न्याय की उम्मीद कर रहा है। यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि रेलवे व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है।