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यह जीतों की सरकार... महिषासुर का अवतार!.. अंबादास दानवे का हल्लाबोल

मुंबई: एक तरफ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि सातबारा कोरा-कोरा है, वहीं दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित दादा पवार कहते हैं कि 30 तारीख तक वेतन दो। यह सरकार झूठी है। आज यह सरकार महिषासुर का अवतार है। हमें शिवसेना के रूप में माँ भवानी की तलवार से महिषासुर के इस अवतार का अंत करने का संकल्प लेना होगा। शिवसेना नेता अंबादास दानवे ने ऐसा ही तीखा हमला बोला।
दादर के शिवतीर्थ में आयोजित विराट दशहरा सम्मेलन में राज्य के कोने-कोने से कई शिवसैनिक पहुँचे। बारिश के बावजूद, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सहित सभी नेताओं की बात सुनने के लिए एक भी शिवसैनिक मैदान से नहीं हटा। सभा को संबोधित करते हुए राजदूत दानवे ने कहा कि मूसलाधार बारिश में भी हमारी सभा चल रही है। बारिश कितनी भी तेज़ क्यों न हो, मुझे नहीं लगता कि मैदान में कोई भी हिलेगा। उलटी कुर्सियाँ बढ़ती जाएँगी। एक भी नीचे नहीं आएगा, क्योंकि यह शिवसेना की सभा है, किसी देशद्रोही की नहीं।
33 जिलों में तबाही
दानवे ने कहा कि इस समय महाराष्ट्र के 33 जिले प्रभावित हैं। आम किसान, आम आदमी बेहद दुःख, पीड़ा और पीड़ा में है। उन्होंने पूछा कि महाराष्ट्र सरकार सो रही है या जाग रही है? यह सरकार क्यों पीड़ित है? क्या यह सरकार जनता का दुख-दर्द सुन रही है? जनता की व्यथा परती है या नहीं? यह सब कुछ बोलने के लिए इनके पास मुँह है या नहीं? वर्तमान सरकार का यही हाल है। इस तरह की तीखी आलोचना भी दानवे ने की।
सरकार पर गंभीर आरोप
दानवे ने कहा कि सरकार किसानों की मदद के नाम पर मज़ाक कर रही है। जिन किसानों के जानवर बाढ़ में बह गए हैं, उन्हें केवल 10 से 20 हज़ार रुपये देकर बचाया जा रहा है। सरकार पर किसानों का 13,500 करोड़ रुपये बकाया है, लेकिन वह भुगतान करने में आनाकानी कर रही है। वहीं, छोटी फाइनेंस कंपनियां किसानों को ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज देकर लूट रही हैं। पंजाब सरकार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी और 6 महीने तक ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा है, जबकि महाराष्ट्र में सिर्फ घोषणाओं और वादों की बरसात हो रही है।
सरकार को शर्म आनी चाहिए
अंबादास दानवे ने कहा कि पिछले डेढ़ महीने में महाराष्ट्र में भारी बारिश ने कहर बरपाया है। करीब 1.60 लाख हेक्टेयर जमीन पानी में डूब गई है। लाखों किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। जगह-जगह आंदोलन हो रहे हैं। अलग-अलग राजनीतिक दल अलग-अलग भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच यह सरकार बस घोषणाएं करती बैठी है। उन्होंने कहा कि हालात ऐसे हैं कि घोषणाओं के अलावा यह सरकार कुछ नहीं करती। देश में किसानों की आत्महत्याओं में से 39 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र में हुई हैं। महाराष्ट्र सरकार को शर्म आनी चाहिए। इस निकम्मी सरकार के कार्यकाल में अब तक साढ़े आठ हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं।

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