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महाराष्ट्र जन सुरक्षा विधेयक के खिलाफ महा विकास अघाड़ी का तीव्र आंदोलन; इसे "काला कानून" बताकर नागरिक अधिकारों से समझौता करने का आरोप

विपक्षी दल महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद में पारित महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक को "काला कानून" बताते हुए पूरे राज्य में जोरदार आंदोलन शुरू कर दिया है। बुधवार (10 सितंबर, 2025) को राज्य के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए। कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी ने आरोप लगाया है कि यह विधेयक नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं को सीमित करेगा। नागपुर में गांधी प्रतिमा से लेकर लातूर के गांधी चौक और पुणे के पुराने विधान भवन तक आंदोलन ने गति पकड़ी।
आंदोलन की पृष्ठभूमि और कारण
हालांकि महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक विधानसभा और विधान परिषद में पारित हो चुका है, लेकिन यह अभी भी राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए लंबित है। इस विधेयक का विरोध करते हुए, महा विकास अघाड़ी ने कहा है कि यह कानून आम नागरिकों की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करता है। खास तौर पर, विपक्ष का दावा है कि यह कानून पुलिस को बिना किसी ठोस सबूत के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और लंबे समय तक जेल में रखने की शक्ति देगा। आशंका है कि इससे आम नागरिकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का दमन होगा।
कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने नागपुर में एक विरोध प्रदर्शन में कहा, "यह कानून लोकतंत्र पर हमला है। यह सरकार का विरोध करने वाली हर आवाज़ को दबाने की कोशिश है। हम इस कानून को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।" इसी तरह, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने सरकार की आलोचना करते हुए इस विधेयक को "काला कानून" बताया। राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "महागठबंधन सरकार लोकतंत्र का कोई सम्मान नहीं करती। यह कानून नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात है।"
विरोध प्रदर्शन का स्वरूप और भागीदारी
महाविकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने राज्य के विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग लिया। नागपुर में, महाविकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया, जबकि लातूर के गांधी चौक पर बड़ी संख्या में नागरिक और कार्यकर्ता एकत्र हुए। पुणे में पुराने विधान भवन के सामने "ईवीएम सरकार हाय हाय" और "काला कानून रद्द करो" जैसे नारों के साथ विरोध प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा, महाविकास अघाड़ी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुंबई के आज़ाद मैदान में भी विरोध प्रदर्शन किया।
प्रसिद्ध नागरिक अधिकार कार्यकर्ता उल्का महाजन ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा, "यह कानून न केवल राजनीतिक विरोधियों के लिए, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी परेशानी का सबब बनेगा। हम हर तालुका और ज़िला स्तर पर इस कानून के ख़िलाफ़ जागरूकता फैलाएँगे।" कांग्रेस ने भी 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर इस विधेयक के ख़िलाफ़ व्यापक विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
सरकार का रुख़ और प्रतिक्रिया
महायुति सरकार ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा है कि यह कानून नागरिकों की सुरक्षा और क़ानून-व्यवस्था के लिए ज़रूरी है। गृह राज्य मंत्री योगेश नाइक ने विधान परिषद में विधेयक पेश करते हुए कहा, "यह कानून अपराध और आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए है। इससे आम नागरिकों की सुरक्षा होगी।" सरकार ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि इस क़ानून का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा और इसका इस्तेमाल सिर्फ़ गंभीर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए किया जाएगा।
हालांकि, विपक्ष ने सरकार के इस दावे पर सवाल उठाए हैं। शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह कानून सरकार को असीमित शक्ति देने की कोशिश है। इससे आम आदमी और विपक्षी दलों की आवाज़ दब जाएगी।" उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर कानून इतना अच्छा है, तो इसे पारदर्शी तरीके से लागू क्यों नहीं किया जा रहा है?

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