
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान समाप्त, अब नतीजों का इंतज़ार
नई दिल्ली, 9 सितंबर, 2025: भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए आज, मंगलवार को संसद भवन में मतदान हुआ। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन और भारत अघाड़ी के उम्मीदवार पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला था। संसद भवन के वसुधा स्थित कक्ष F-101 में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ। अब सबकी निगाहें नतीजों पर टिकी हैं, जिनकी घोषणा आज देर रात होने की संभावना है।
मतदान प्रक्रिया और भागीदारी
लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों सहित कुल 781 सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने के पात्र थे। दोपहर 3 बजे तक 96% सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया था, जिसमें सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना वोट डाला। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मतदान प्रक्रिया गुप्त मतदान और एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आयोजित की गई थी। इस पद्धति में, सांसदों को उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी प्राथमिकता (1, 2, 3...) दर्शानी होती थी। प्राथमिकता भारतीय अंकों, रोमन अंकों या किसी भी मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा में दर्शाई जा सकती है, लेकिन इसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
उम्मीदवार और राजनीतिक गणित
एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल और तमिलनाडु में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से अपने घनिष्ठ संबंधों और एक मृदुभाषी, गैर-विवादास्पद व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर, भारत अघाड़ी के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 2007 और 2011 के बीच कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। विशेष रूप से, उन्होंने 2011 में नंदिनी सुंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में सलवा जुडूम नामक एक आदिवासी मिलिशिया पर प्रतिबंध लगाने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
एनडीए को लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 11 सांसदों ने भी राधाकृष्णन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इससे एनडीए के पास कुल 422 सांसद हो जाते हैं, जो जीत के लिए आवश्यक 391 वोटों से ज़्यादा है। दूसरी ओर, इंडिया अलायंस को कांग्रेस, डीएमके, जेएमएम, आरजेडी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल, आप और एआईएमआईएम सहित 324 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
कुछ दलों ने नाम वापस लिया
कुछ दलों ने इस चुनाव में मतदान से परहेज करने का फैसला किया है। बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और राष्ट्रीय स्तर के गठबंधनों से समान दूरी बनाए रखने के लिए चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। बीजेडी के सात, बीआरएस के चार और एसएडी के एक सांसद इस चुनाव में मतदान नहीं करेंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और विवाद
इंडिया अलायंस ने इस चुनाव को "वैचारिक लड़ाई" बताया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी को लोकतंत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा, "जब भी लोकतंत्र और संविधान पर हमला होता है, विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ते हैं।" दूसरी ओर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा, "भाजपा ने लोकतंत्र की भावना को नष्ट करने की कोशिश की है और यह चुनाव हम पर थोपा गया है।"
हालांकि, भाजपा सांसद उज्ज्वल निकम ने विपक्ष के दावों को "झूठा प्रचार" करार दिया और राधाकृष्णन की जीत का विश्वास जताया। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी एनडीए की एकता और राधाकृष्णन की जीत में अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया।
चुनावी पृष्ठभूमि
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण यह चुनाव आवश्यक हो गया था।
नई दिल्ली, 9 सितंबर, 2025: भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए आज, मंगलवार को संसद भवन में मतदान हुआ। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन और भारत अघाड़ी के उम्मीदवार पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला था। संसद भवन के वसुधा स्थित कक्ष F-101 में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ। अब सबकी निगाहें नतीजों पर टिकी हैं, जिनकी घोषणा आज देर रात होने की संभावना है।
मतदान प्रक्रिया और भागीदारी
लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों सहित कुल 781 सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने के पात्र थे। दोपहर 3 बजे तक 96% सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया था, जिसमें सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना वोट डाला। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मतदान प्रक्रिया गुप्त मतदान और एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आयोजित की गई थी। इस पद्धति में, सांसदों को उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी प्राथमिकता (1, 2, 3...) दर्शानी होती थी। प्राथमिकता भारतीय अंकों, रोमन अंकों या किसी भी मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा में दर्शाई जा सकती है, लेकिन इसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
उम्मीदवार और राजनीतिक गणित
एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल और तमिलनाडु में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से अपने घनिष्ठ संबंधों और एक मृदुभाषी, गैर-विवादास्पद व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर, भारत अघाड़ी के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 2007 और 2011 के बीच कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। विशेष रूप से, उन्होंने 2011 में नंदिनी सुंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में सलवा जुडूम नामक एक आदिवासी मिलिशिया पर प्रतिबंध लगाने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
एनडीए को लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 11 सांसदों ने भी राधाकृष्णन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इससे एनडीए के पास कुल 422 सांसद हो जाते हैं, जो जीत के लिए आवश्यक 391 वोटों से ज़्यादा है। दूसरी ओर, इंडिया अलायंस को कांग्रेस, डीएमके, जेएमएम, आरजेडी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल, आप और एआईएमआईएम सहित 324 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
कुछ दलों ने नाम वापस लिया
कुछ दलों ने इस चुनाव में मतदान से परहेज करने का फैसला किया है। बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और राष्ट्रीय स्तर के गठबंधनों से समान दूरी बनाए रखने के लिए चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। बीजेडी के सात, बीआरएस के चार और एसएडी के एक सांसद इस चुनाव में मतदान नहीं करेंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और विवाद
इंडिया अलायंस ने इस चुनाव को "वैचारिक लड़ाई" बताया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी को लोकतंत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा, "जब भी लोकतंत्र और संविधान पर हमला होता है, विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ते हैं।" दूसरी ओर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा, "भाजपा ने लोकतंत्र की भावना को नष्ट करने की कोशिश की है और यह चुनाव हम पर थोपा गया है।"
हालांकि, भाजपा सांसद उज्ज्वल निकम ने विपक्ष के दावों को "झूठा प्रचार" करार दिया और राधाकृष्णन की जीत का विश्वास जताया। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी एनडीए की एकता और राधाकृष्णन की जीत में अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया।
चुनावी पृष्ठभूमि
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण यह चुनाव आवश्यक हो गया था।
नई दिल्ली, 9 सितंबर, 2025: भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए आज, मंगलवार को संसद भवन में मतदान हुआ। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन और भारत अघाड़ी के उम्मीदवार पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला था। संसद भवन के वसुधा स्थित कक्ष F-101 में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ। अब सबकी निगाहें नतीजों पर टिकी हैं, जिनकी घोषणा आज देर रात होने की संभावना है।
मतदान प्रक्रिया और भागीदारी
लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों सहित कुल 781 सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने के पात्र थे। दोपहर 3 बजे तक 96% सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया था, जिसमें सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना वोट डाला। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मतदान प्रक्रिया गुप्त मतदान और एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आयोजित की गई थी। इस पद्धति में, सांसदों को उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी प्राथमिकता (1, 2, 3...) दर्शानी होती थी। प्राथमिकता भारतीय अंकों, रोमन अंकों या किसी भी मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा में दर्शाई जा सकती है, लेकिन इसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
उम्मीदवार और राजनीतिक गणित
एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल और तमिलनाडु में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से अपने घनिष्ठ संबंधों और एक मृदुभाषी, गैर-विवादास्पद व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर, भारत अघाड़ी के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 2007 और 2011 के बीच कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। विशेष रूप से, उन्होंने 2011 में नंदिनी सुंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में सलवा जुडूम नामक एक आदिवासी मिलिशिया पर प्रतिबंध लगाने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
एनडीए को लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 11 सांसदों ने भी राधाकृष्णन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इससे एनडीए के पास कुल 422 सांसद हो जाते हैं, जो जीत के लिए आवश्यक 391 वोटों से ज़्यादा है। दूसरी ओर, इंडिया अलायंस को कांग्रेस, डीएमके, जेएमएम, आरजेडी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल, आप और एआईएमआईएम सहित 324 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
कुछ दलों ने नाम वापस लिया
कुछ दलों ने इस चुनाव में मतदान से परहेज करने का फैसला किया है। बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और राष्ट्रीय स्तर के गठबंधनों से समान दूरी बनाए रखने के लिए चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। बीजेडी के सात, बीआरएस के चार और एसएडी के एक सांसद इस चुनाव में मतदान नहीं करेंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और विवाद
इंडिया अलायंस ने इस चुनाव को "वैचारिक लड़ाई" बताया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी को लोकतंत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा, "जब भी लोकतंत्र और संविधान पर हमला होता है, विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ते हैं।" दूसरी ओर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा, "भाजपा ने लोकतंत्र की भावना को नष्ट करने की कोशिश की है और यह चुनाव हम पर थोपा गया है।"
हालांकि, भाजपा सांसद उज्ज्वल निकम ने विपक्ष के दावों को "झूठा प्रचार" करार दिया और राधाकृष्णन की जीत का विश्वास जताया। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी एनडीए की एकता और राधाकृष्णन की जीत में अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया।
चुनावी पृष्ठभूमि
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण यह चुनाव आवश्यक हो गया था।