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नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं का विरोध प्रदर्शन: 'जेन जेड क्रांति' शुरू

काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू में युवाओं ने सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ के.पी. शर्मा ओली सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया है। हजारों युवाओं ने राजधानी की सड़कों पर बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन किया है और इस आंदोलन को "जेन जेड क्रांति" नाम दिया गया है। इस आंदोलन में नई पीढ़ी के छात्रों और युवाओं की बड़ी भागीदारी देखी गई है। पिछले हफ्ते ओली सरकार द्वारा फेसबुक और ट्विटर समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के बाद यह विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया है। बताया गया है कि इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान दो लोगों की मौत हो गई।
सोशल मीडिया प्रतिबंध से तनाव
नेपाल सरकार ने फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम समेत लगभग सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। शुरुआत में इस फैसले के खिलाफ ऑनलाइन मंचों पर नाराजगी और चर्चा हुई। हालांकि, कुछ ही समय में यह नाराजगी डिजिटल दुनिया से आगे बढ़कर काठमांडू की सड़कों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों में बदल गई। हजारों युवा सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। "हमें अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी चाहिए," "सोशल मीडिया हमारी आवाज़ है," उन्होंने नारे लगाए।
'जेन जेड क्रांति' शुरू
इस आंदोलन को 'जेन जेड क्रांति' इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसमें मुख्य रूप से युवा और छात्र शामिल हैं। काठमांडू की सड़कों पर जुटे युवाओं ने सरकार पर 'लोकतंत्र विरोधी' और 'आज़ादी पर हमला' करने का आरोप लगाया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र, ख़ासकर इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। एक छात्र ने कहा, "सोशल मीडिया हमारी पीढ़ी की अभिव्यक्ति है। सरकार ने इसे बंद करके हमारी आवाज़ दबाने की कोशिश की है।"
हिंसक मोड़ और मौत
प्रदर्शनों के दौरान कुछ जगहों पर स्थिति हिंसक हो गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में दो लोगों की मौत की खबर है। इससे आंदोलन और तेज़ हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जबकि पुलिस ने भी लाठियों और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। हिंसक घटनाओं ने काठमांडू में तनावपूर्ण माहौल बना दिया है। स्थानीय प्रशासन ने शांति की अपील की है, लेकिन युवाओं का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
सरकार की भूमिका और आंदोलन की भावी दिशा
के. पी. शर्मा ओली की सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का कारण 'राष्ट्रीय सुरक्षा' और 'सार्वजनिक व्यवस्था' बताया है। हालाँकि, विपक्ष और नागरिक समाज ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। विपक्षी दलों ने प्रतिबंध को 'अधिनायकवादी' कदम बताते हुए सरकार की आलोचना की है। इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने लड़ाई जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है। आंदोलन के एक नेता ने घोषणा की, "जब तक सोशल मीडिया पर प्रतिबंध नहीं हटता, हम सड़कों से पीछे नहीं हटेंगे।"
वैश्विक प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावनाएँ
इस आंदोलन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान आकर्षित किया है। मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने नेपाल में इन घटनाक्रमों पर चिंता व्यक्त की है। कुछ देशों ने नेपाल सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने का आह्वान किया है। इस बीच, काठमांडू में चल रहे विरोध प्रदर्शन ने नेपाल के राजनीतिक हालात को एक नया मोड़ दे दिया है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर सरकार जल्द ही कोई समाधान नहीं निकालती है, तो विरोध प्रदर्शन व्यापक रूप ले सकता है।
नेपाल के इस हालात को देखते हुए, 'जेन ज़ेड क्रांति' सिर्फ़ सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी की अभिव्यक्ति की आज़ादी की लड़ाई बन गई है। आने वाले दिनों में इस विरोध प्रदर्शन की दिशा और परिणाम पर सबकी नज़र है।

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