IFFI के मंच पर 'गोंधल' का डंका; पारंपरिक आस्था की अंतर्राष्ट्रीय झलक!
गोवा, 8 नवंबर, 2025 – मराठी फिल्म उद्योग को एक और बड़ी सफलता के पंख लग गए हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक संतोष डावखर की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'गोंधल' को भारत सरकार के 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) के प्रतिष्ठित 'भारतीय पैनोरमा गोल्डन पीकॉक सेक्शन' में आधिकारिक रूप से चुना गया है। 'सिनेमा के आनंद का जश्न मनाएँ' के नारे से सजे इस वैश्विक महोत्सव में मराठी फिल्मों का शामिल होना न केवल फिल्म टीम के लिए, बल्कि पूरे मराठी फिल्म उद्योग के लिए भी गौरव का क्षण है।
फिल्म 'गोंधल' पारंपरिक महाराष्ट्रीयन संस्कृति में 'गोंधल' अनुष्ठान की अनूठी पृष्ठभूमि पर आधारित है। पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाने वाला यह लोक अनुष्ठान केवल धार्मिक रीति-रिवाजों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मानवीय भावनाओं, अंधविश्वासों, समाज में बदलते दृष्टिकोण और आधुनिकता के द्वंद्व से भी रूबरू कराता है। यह फिल्म लोक कला के शानदार दर्शन, प्रभावशाली छायांकन और तकनीकी उत्कृष्टता का एक अनूठा संगम है। दावखर फिल्म्स के बैनर तले निर्मित यह फिल्म अब स्थानीय दर्शकों के दिलों में जगह बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की तैयारी में है।
इस सफलता पर निर्देशक संतोष दावखर ने भावुक होकर कहा, "यह हमारी टीम के लिए बेहद गर्व और खुशी की बात है। 'गोंधल' हमारी मिट्टी से जुड़ी, आस्था और परंपराओं से जुड़ी फिल्म है। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित IFFI जैसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में इसका चयन हमारी पूरी टीम की कड़ी मेहनत का सम्मान है। इससे बड़ा कोई पुरस्कार नहीं हो सकता कि हमारी कला को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है।"
'गोंधल' की कहानी, पटकथा और संवाद संतोष दावखर ने खुद लिखे हैं और सह-निर्माता दीक्षा दावखर ने इस परियोजना का भरपूर समर्थन किया है। फिल्म में अनुभवी और नए कलाकारों का शानदार मिश्रण होगा। किशोर कदम, इशिता देशमुख, योगेश सोहोनी, निषाद भोईर, अनुज प्रभु, सुरेश विश्वकर्मा, माधवी जुवेकर, ऐश्वर्या शिंदे, कैलाश वाघमारे, प्रभाकर मठपति, विट्ठल काले, प्रवीण डालिम्बकर, शरद जाधव, पूनम पाटिल और ध्रुव ठोके जैसे दिग्गज कलाकार मुख्य भूमिकाओं में दिखाई दे रहे हैं। इन सभी कलाकारों के अभिनय का जादू दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा।
'गोंधल' के साथ, एक और मराठी फिल्म, 'आटा थंबायाचा नाई!' को भी IFFI के भारतीय पैनोरमा खंड में चुना गया है। चूँकि दोनों ही फिल्में अपने निर्देशकों की पहली फिल्म हैं, इसलिए यह नई पीढ़ी की रचनात्मकता का एक बेहतरीन उदाहरण है। हालाँकि, 'गोंधल' ने 'गोल्डन पीकॉक' प्रतियोगिता जीती है, जो इस फिल्म को सर्वोच्च पुरस्कार का मौका दे सकती है।
मराठी सिनेमा पिछले कुछ वर्षों में लगातार अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत रहा है। 'कोर्ट', 'सैराट', 'नटरंग' जैसी फ़िल्में विश्व पटल पर छा चुकी हैं। अब 'गोंधल' की सफलता इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है। यह फ़िल्म न सिर्फ़ मनोरंजक है, बल्कि महाराष्ट्रीयन संस्कृति की जड़ों को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रस्तुत करती है। पारंपरिक वाद्ययंत्रों, लोक नृत्यों और गोंधल के भव्य दृश्यों से सजे दृश्य दर्शकों को उनके पैतृक गाँव की याद दिलाएँगे।
फ़िल्म 'गोंधल' 14 नवंबर को महाराष्ट्र के सभी प्रमुख सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। IFFI में विशेष स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों की प्रतिक्रिया निश्चित रूप से उत्साहजनक होगी। मराठी दर्शकों के लिए यह फ़िल्म एक नए युग की शुरुआत होगी, जहाँ हमारी मिट्टी और संस्कृति वैश्विक स्तर पर गूंजेगी।
यह खबर मराठी सिनेमा प्रेमियों के लिए एक जश्न की तरह है। 'गोंधल' की सफलता से IFFI का मंच और भी रंगीन हो जाएगा। जल्द ही यह फ़िल्म दर्शकों से रूबरू होगी और मराठी संस्कृति की महिमा को दुनिया तक पहुँचाएगी!
गोवा, 8 नवंबर, 2025 – मराठी फिल्म उद्योग को एक और बड़ी सफलता के पंख लग गए हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक संतोष डावखर की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'गोंधल' को भारत सरकार के 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) के प्रतिष्ठित 'भारतीय पैनोरमा गोल्डन पीकॉक सेक्शन' में आधिकारिक रूप से चुना गया है। 'सिनेमा के आनंद का जश्न मनाएँ' के नारे से सजे इस वैश्विक महोत्सव में मराठी फिल्मों का शामिल होना न केवल फिल्म टीम के लिए, बल्कि पूरे मराठी फिल्म उद्योग के लिए भी गौरव का क्षण है।
फिल्म 'गोंधल' पारंपरिक महाराष्ट्रीयन संस्कृति में 'गोंधल' अनुष्ठान की अनूठी पृष्ठभूमि पर आधारित है। पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाने वाला यह लोक अनुष्ठान केवल धार्मिक रीति-रिवाजों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मानवीय भावनाओं, अंधविश्वासों, समाज में बदलते दृष्टिकोण और आधुनिकता के द्वंद्व से भी रूबरू कराता है। यह फिल्म लोक कला के शानदार दर्शन, प्रभावशाली छायांकन और तकनीकी उत्कृष्टता का एक अनूठा संगम है। दावखर फिल्म्स के बैनर तले निर्मित यह फिल्म अब स्थानीय दर्शकों के दिलों में जगह बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की तैयारी में है।
इस सफलता पर निर्देशक संतोष दावखर ने भावुक होकर कहा, "यह हमारी टीम के लिए बेहद गर्व और खुशी की बात है। 'गोंधल' हमारी मिट्टी से जुड़ी, आस्था और परंपराओं से जुड़ी फिल्म है। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित IFFI जैसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में इसका चयन हमारी पूरी टीम की कड़ी मेहनत का सम्मान है। इससे बड़ा कोई पुरस्कार नहीं हो सकता कि हमारी कला को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है।"
'गोंधल' की कहानी, पटकथा और संवाद संतोष दावखर ने खुद लिखे हैं और सह-निर्माता दीक्षा दावखर ने इस परियोजना का भरपूर समर्थन किया है। फिल्म में अनुभवी और नए कलाकारों का शानदार मिश्रण होगा। किशोर कदम, इशिता देशमुख, योगेश सोहोनी, निषाद भोईर, अनुज प्रभु, सुरेश विश्वकर्मा, माधवी जुवेकर, ऐश्वर्या शिंदे, कैलाश वाघमारे, प्रभाकर मठपति, विट्ठल काले, प्रवीण डालिम्बकर, शरद जाधव, पूनम पाटिल और ध्रुव ठोके जैसे दिग्गज कलाकार मुख्य भूमिकाओं में दिखाई दे रहे हैं। इन सभी कलाकारों के अभिनय का जादू दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा।
'गोंधल' के साथ, एक और मराठी फिल्म, 'आटा थंबायाचा नाई!' को भी IFFI के भारतीय पैनोरमा खंड में चुना गया है। चूँकि दोनों ही फिल्में अपने निर्देशकों की पहली फिल्म हैं, इसलिए यह नई पीढ़ी की रचनात्मकता का एक बेहतरीन उदाहरण है। हालाँकि, 'गोंधल' ने 'गोल्डन पीकॉक' प्रतियोगिता जीती है, जो इस फिल्म को सर्वोच्च पुरस्कार का मौका दे सकती है।
मराठी सिनेमा पिछले कुछ वर्षों में लगातार अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत रहा है। 'कोर्ट', 'सैराट', 'नटरंग' जैसी फ़िल्में विश्व पटल पर छा चुकी हैं। अब 'गोंधल' की सफलता इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है। यह फ़िल्म न सिर्फ़ मनोरंजक है, बल्कि महाराष्ट्रीयन संस्कृति की जड़ों को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रस्तुत करती है। पारंपरिक वाद्ययंत्रों, लोक नृत्यों और गोंधल के भव्य दृश्यों से सजे दृश्य दर्शकों को उनके पैतृक गाँव की याद दिलाएँगे।
फ़िल्म 'गोंधल' 14 नवंबर को महाराष्ट्र के सभी प्रमुख सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। IFFI में विशेष स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों की प्रतिक्रिया निश्चित रूप से उत्साहजनक होगी। मराठी दर्शकों के लिए यह फ़िल्म एक नए युग की शुरुआत होगी, जहाँ हमारी मिट्टी और संस्कृति वैश्विक स्तर पर गूंजेगी।
यह खबर मराठी सिनेमा प्रेमियों के लिए एक जश्न की तरह है। 'गोंधल' की सफलता से IFFI का मंच और भी रंगीन हो जाएगा। जल्द ही यह फ़िल्म दर्शकों से रूबरू होगी और मराठी संस्कृति की महिमा को दुनिया तक पहुँचाएगी!
फिल्म 'गोंधल' पारंपरिक महाराष्ट्रीयन संस्कृति में 'गोंधल' अनुष्ठान की अनूठी पृष्ठभूमि पर आधारित है। पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाने वाला यह लोक अनुष्ठान केवल धार्मिक रीति-रिवाजों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मानवीय भावनाओं, अंधविश्वासों, समाज में बदलते दृष्टिकोण और आधुनिकता के द्वंद्व से भी रूबरू कराता है। यह फिल्म लोक कला के शानदार दर्शन, प्रभावशाली छायांकन और तकनीकी उत्कृष्टता का एक अनूठा संगम है। दावखर फिल्म्स के बैनर तले निर्मित यह फिल्म अब स्थानीय दर्शकों के दिलों में जगह बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की तैयारी में है।
इस सफलता पर निर्देशक संतोष दावखर ने भावुक होकर कहा, "यह हमारी टीम के लिए बेहद गर्व और खुशी की बात है। 'गोंधल' हमारी मिट्टी से जुड़ी, आस्था और परंपराओं से जुड़ी फिल्म है। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित IFFI जैसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में इसका चयन हमारी पूरी टीम की कड़ी मेहनत का सम्मान है। इससे बड़ा कोई पुरस्कार नहीं हो सकता कि हमारी कला को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है।"
'गोंधल' की कहानी, पटकथा और संवाद संतोष दावखर ने खुद लिखे हैं और सह-निर्माता दीक्षा दावखर ने इस परियोजना का भरपूर समर्थन किया है। फिल्म में अनुभवी और नए कलाकारों का शानदार मिश्रण होगा। किशोर कदम, इशिता देशमुख, योगेश सोहोनी, निषाद भोईर, अनुज प्रभु, सुरेश विश्वकर्मा, माधवी जुवेकर, ऐश्वर्या शिंदे, कैलाश वाघमारे, प्रभाकर मठपति, विट्ठल काले, प्रवीण डालिम्बकर, शरद जाधव, पूनम पाटिल और ध्रुव ठोके जैसे दिग्गज कलाकार मुख्य भूमिकाओं में दिखाई दे रहे हैं। इन सभी कलाकारों के अभिनय का जादू दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा।
'गोंधल' के साथ, एक और मराठी फिल्म, 'आटा थंबायाचा नाई!' को भी IFFI के भारतीय पैनोरमा खंड में चुना गया है। चूँकि दोनों ही फिल्में अपने निर्देशकों की पहली फिल्म हैं, इसलिए यह नई पीढ़ी की रचनात्मकता का एक बेहतरीन उदाहरण है। हालाँकि, 'गोंधल' ने 'गोल्डन पीकॉक' प्रतियोगिता जीती है, जो इस फिल्म को सर्वोच्च पुरस्कार का मौका दे सकती है।
मराठी सिनेमा पिछले कुछ वर्षों में लगातार अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत रहा है। 'कोर्ट', 'सैराट', 'नटरंग' जैसी फ़िल्में विश्व पटल पर छा चुकी हैं। अब 'गोंधल' की सफलता इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है। यह फ़िल्म न सिर्फ़ मनोरंजक है, बल्कि महाराष्ट्रीयन संस्कृति की जड़ों को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रस्तुत करती है। पारंपरिक वाद्ययंत्रों, लोक नृत्यों और गोंधल के भव्य दृश्यों से सजे दृश्य दर्शकों को उनके पैतृक गाँव की याद दिलाएँगे।
फ़िल्म 'गोंधल' 14 नवंबर को महाराष्ट्र के सभी प्रमुख सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। IFFI में विशेष स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों की प्रतिक्रिया निश्चित रूप से उत्साहजनक होगी। मराठी दर्शकों के लिए यह फ़िल्म एक नए युग की शुरुआत होगी, जहाँ हमारी मिट्टी और संस्कृति वैश्विक स्तर पर गूंजेगी।
यह खबर मराठी सिनेमा प्रेमियों के लिए एक जश्न की तरह है। 'गोंधल' की सफलता से IFFI का मंच और भी रंगीन हो जाएगा। जल्द ही यह फ़िल्म दर्शकों से रूबरू होगी और मराठी संस्कृति की महिमा को दुनिया तक पहुँचाएगी!
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