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चुनाव आयोग के समर्थन में 272 दिग्गज एकजुट; कांग्रेस ने राजनीतिक साजिश पर उठाई उंगली

नई दिल्ली, 19 नवंबर, 2025: भारतीय लोकतंत्र के मंदिर को हो रहे आघातों का एकजुट होकर जवाब देने का समय आ गया है। देश की 272 प्रतिष्ठित हस्तियों ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक खुला पत्र जारी कर चुनाव आयोग को अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की। यह पत्र महज एक कागज़ का टुकड़ा नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता और लोकतंत्र की अखंडता के पक्षधर रहे दिग्गजों की एक सशक्त राय है। यह पत्र कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा आयोग पर लगातार किए जा रहे हमलों की कड़ी निंदा करता है। पूर्व न्यायाधीशों, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों, पूर्व राजदूतों और पूर्व सेना प्रमुखों जैसी कई क्षेत्रों की बड़ी हस्तियों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस घटना ने राजनीतिक माहौल में एक नई लहर पैदा कर दी है और आयोग की विश्वसनीयता को कमज़ोर करने की कोशिशों को अब कड़ी प्रतिक्रिया मिल रही है।
एक ऐसा पत्र जो विपक्ष के आरोपों का असली चेहरा उजागर करता है
यह खुला पत्र एक साधारण बयान से कहीं बढ़कर है। यह एक तरह से राजनीतिक साजिश का पर्दाफाश करने वाला दस्तावेज़ है। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कांग्रेस समेत विपक्षी दल, निराधार आरोपों के ज़रिए संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है, "भारतीय लोकतंत्र आज बाहरी हमलों के कारण नहीं, बल्कि ज़हरीले राजनीतिक बयानों के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।" ये शब्द दिग्गजों में गुस्से और चिंता दोनों को दर्शाते हैं। उनका कहना है कि विपक्ष सबूत होने का दावा करता है, लेकिन आयोग में कोई औपचारिक शिकायत या हलफनामा दायर नहीं किया जाता। पत्र में कहा गया है कि यह सिर्फ़ एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
विशेष रूप से, पत्र में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हालिया बयानों पर कटाक्ष किया गया है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर "वोट चोरी" का गंभीर आरोप लगाया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, पत्र में कहा गया है कि इस तरह के बयान अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश हैं। पत्र में स्पष्ट किया गया है, "आयोग को 'भाजपा की बी-टीम' कहना तथ्यों पर आधारित नहीं है, बल्कि राजनीतिक हताशा में लगाया गया आरोप है।" आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया है। आयोग की ईमानदारी अदालत की निगरानी में फर्जी मतदाताओं को हटाने, नए पात्र मतदाताओं को शामिल करने और सत्यापन की प्रक्रिया से साबित हुई है। फिर भी, विपक्ष चुनाव जीतने पर आयोग की प्रशंसा करता है और हारने पर आरोप लगाता है। पत्र में इसकी तीखी आलोचना की गई है, "यह चुनिंदा आक्रोश और राजनीतिक अवसरवाद है।"
हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची: विभिन्न क्षेत्रों की एकता
इस पत्र की सफलता का राज इस पर हुए 272 हस्ताक्षर हैं। यह केवल एक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि देश के विभिन्न स्तरों के दिग्गजों का प्रतिनिधित्व करता है। 16 पूर्व न्यायाधीश हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खड़े हुए हैं। 123 सेवानिवृत्त चार्टर्ड अधिकारियों ने प्रशासनिक निष्पक्षता की रक्षा के लिए हाथ मिलाया है। 14 पूर्व राजदूतों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को बचाने में योगदान दिया है। और सबसे महत्वपूर्ण बात, 133 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने देश की आंतरिक स्थिरता के लिए अपनी भूमिका निभाई है। इन सभी का एक साथ आना केवल आयोग का समर्थन करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों की रक्षा का प्रतीक है।
इन दिग्गजों में कई नाम जाने-पहचाने हैं। इस संदर्भ में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई जैसे न्यायाधीशों, विनोद राय जैसे पूर्व केंद्रीय सचिव स्तर के आईएएस अधिकारियों, पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर जैसे राजदूतों और पूर्व सेना प्रमुख बिपिन रावत (अपने उत्तराधिकारियों के माध्यम से) जैसे सैन्य अधिकारियों का उल्लेख किया जा रहा है। ये सभी एकमत होकर कहते हैं कि संवैधानिक संस्थाओं पर हमला लोकतंत्र पर हमला है। उनके अनुसार, इस तरह के प्रयास देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ख़तरा हैं और इन्हें अभी रोकने की ज़रूरत है।
राजनीतिक माहौल में बदलाव: आयोग की विश्वसनीयता की पुष्टि
इस पत्र ने राजनीतिक क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। हालाँकि कांग्रेस ने इसे "बड़े लोगों के राजनीतिक दबाव" के रूप में कम करके आंकने की कोशिश की है, लेकिन सोशल मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच इसकी ज़ोरदार चर्चा हो रही है। चुनाव आयोग ने पत्र का स्वागत करते हुए कहा है, "यह हमारे निष्पक्ष कार्य का प्रमाण है।" आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजीव कुमार ने पत्र पढ़ने के बाद एक ब्रीफिंग में कहा, "हम हमेशा पारदर्शिता के साथ काम करते हैं और किसी भी राजनीतिक दबाव में नहीं आते। यह पत्र हमारे प्रयासों को मज़बूत करता है।"
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "यह पत्र भाजपा के दुष्प्रचार का हिस्सा है," लेकिन उन्हें सबूत दिखाने की चुनौती दी जा रही है। दूसरी ओर, भाजपा नेता और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्र की प्रशंसा करते हुए कहा, "देश के सच्चे हितैषी उठ खड़े हुए हैं। विपक्ष को अब खुद अपनी जाँच करनी होगी।" इन प्रतिक्रियाओं से राजनीतिक पारा चढ़ गया है और आने वाले दिनों में संसद में इस पर चर्चा होने की संभावना है।
लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक संदेश
यह पत्र केवल चुनाव आयोग के पक्ष में एक रुख नहीं है, बल्कि पूरे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा संदेश है। दिग्गजों का कहना है कि निराधार आरोप संस्थाओं को कमजोर करते हैं और आम मतदाताओं पर असर डालते हैं। पत्र में आग्रह किया गया है, "लोकतंत्र जनता का है, राजनीतिक दलों का नहीं।"

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