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दिल्ली लाल किला विस्फोट: NIA जाँच में जैश-ए-मोहम्मद के डॉक्टर का पर्दाफाश, असली निशाना अयोध्या-वाराणसी थे!

मुंबई, 17 नवंबर, 2025 :राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने 10 नवंबर की शाम दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला इलाके में हुए भीषण बम विस्फोट के मामले में आज एक बड़ी सफलता हासिल की है। जाँच के दौरान, एनआईए ने खुलासा किया है कि एक कश्मीरी डॉक्टर इसका मास्टरमाइंड था और इस विस्फोट के लिए सीधे तौर पर जैश-ए-मोहम्मद ने धन मुहैया कराया था। असली मास्टरमाइंड डॉ. उमर नबी को गिरफ्तार कर लिया गया है और जिस हुंडई आई-20 कार से वह 11 घंटे तक दिल्ली में घूम रहा था, उसमें विस्फोटक भरे हुए थे। इस विस्फोट में 9 से ज़्यादा लोग मारे गए और 20 से ज़्यादा गंभीर रूप से घायल हुए। एनआईए अधिकारियों के अनुसार, इस विस्फोट की योजना अयोध्या और वाराणसी को निशाना बनाने की थी, लेकिन जल्दबाजी के कारण यह लाल किले के पास ही फट गया।
विस्फोट की भयावहता: दिल्ली में दहशत का माहौल
10 नवंबर, 2025 की शाम को दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए विस्फोट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। चूँकि लाल किला मुगल साम्राज्य का प्रतीक एक ऐतिहासिक स्थल है, इसलिए इस घटना ने राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गरमा दिया है। विस्फोट इतना तीव्र था कि आसपास की इमारतों की खिड़कियाँ टूट गईं और सड़कों पर घना धुआँ छा गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विस्फोट के समय हज़ारों पर्यटक और स्थानीय लोग मौजूद थे। एक घायल पर्यटक ने कहा, "ऐसा लगा जैसे आसमान फट गया हो और धुएँ की गर्जना में सब कुछ खो गया हो।"
एनआईए की जाँच में पता चला है कि यह विस्फोट एक हुंडई आई-20 कार से किया गया था। कार में भारी मात्रा में विस्फोटक लदे थे और विस्फोट के समय यह लगभग 11 घंटे से दिल्ली में घूम रही थी। कार में सवार आतंकवादी उमर नाम का एक युवक था, जो पुलवामा का रहने वाला है और जैश-ए-मोहम्मद का सक्रिय सदस्य है। जाँच एजेंसी का मानना ​​है कि विस्फोट के दौरान उमर कार में ही था और उसने खुद ही बम को सक्रिय किया होगा। इस घटना में 9 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई, जिनमें से कुछ स्थानीय व्यापारी और पर्यटक थे। 20 से ज़्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में उनका इलाज चल रहा है।
एनआईए जाँच: डॉक्टर की साज़िश
एनआईए ने जाँच शुरू करने के एक हफ़्ते के अंदर ही इस मामले में बड़ी प्रगति की है। जाँच के दौरान, हुंडई आई-20 कार के मालिक डॉ. उमर नबी को गिरफ़्तार किया गया। डॉ. उमर नबी कश्मीर के पंपोर ज़िले के संबूरा गाँव के निवासी हैं और एक सफल डॉक्टर के रूप में जाने जाते हैं। हालाँकि, एनआईए के अनुसार, उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर विस्फोट की साज़िश रची थी। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "डॉ. उमर नबी असली मास्टरमाइंड है। उसने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के ज़रिए ही कार ख़रीदी और बेची और दिल्ली आने के कुछ ही दिनों बाद उसे आतंकवादियों को सौंप दिया।"
जाँच ​​में एक और चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि इस साज़िश में डॉक्टरों की भी अहम भूमिका थी। खुलासा हुआ है कि इस साज़िश में एमडी मेडिसिन का एक डॉक्टर भी शामिल था। यह डॉक्टर पिछले कुछ दिनों से इस धमाके की योजना बना रहा था। एनआईए को यह भी पता चला है कि डॉ. उमर नबी कुछ दिन पहले एक कार के लेन-देन के सिलसिले में दिल्ली आए थे। कार की एक से ज़्यादा बार ख़रीद-फ़रोख़्त हुई और आख़िरी लेन-देन फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के ज़रिए हुआ। जैश-ए-मोहम्मद ने इस धमाके के लिए सीधे तौर पर धन मुहैया कराया है, जिसका सीधा संबंध पुलवामा के आतंकी नेटवर्क से है।
असली मक़सद: अयोध्या और वाराणसी को निशाना बनाना
एनआईए की जाँच में सबसे अहम बात यह सामने आई है कि लाल किला असल निशाना नहीं था। आतंकियों का मुख्य निशाना अयोध्या और वाराणसी थे। हालाँकि, जल्दबाज़ी और योजना में चूक के कारण लाल किला के पास धमाका हो गया। एनआईए अधिकारियों ने बताया, "धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों पर हमला करने के लिए इस धमाके की योजना बनाई गई थी। पुलवामा से जैश नेटवर्क तक की कड़ी उजागर हो गई है।" इस धमाके का संबंध पुलवामा में हुई आतंकी गतिविधियों से है, जिसके लिए जैश ने विशेष धन मुहैया कराया था।
इस मामले में आतंकवादी उमर, पुलवामा का एक युवक है, जो जैश में शामिल होने से पहले एक सामान्य जीवन जीता था। हालाँकि, कट्टरपंथ के कारण उसने आतंकवाद का रास्ता अपना लिया। एनआईए ने उसके मोबाइल और कार से विस्फोटक के अवशेष, जैश के संदेश और नक्शे बरामद किए हैं। ये सबूत इस साजिश की गहराई को दर्शाते हैं।
देशव्यापी सदमा: राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगे की जाँच
इस विस्फोट ने पूरे देश में दहशत का माहौल फैला दिया है और राजनीतिक नेताओं की ओर से कड़ी कार्रवाई की माँग की जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "आतंकवादियों को कड़ी सजा दी जाएगी। एनआईए की जाँच तेज़ गति से चल रही है।" इस घटना की विपक्षी दलों ने भी निंदा की है और कश्मीर में आतंकवाद पर नकेल कसने की माँग की है।
एनआईए ने अब डॉ. उमर नबी और अन्य संदिग्धों की गहन जाँच शुरू कर दी है और जैश के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। जाँच में सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल कॉल रिकॉर्ड और विस्फोटकों का रासायनिक विश्लेषण महत्वपूर्ण रहा है। दिल्ली पुलिस और सीबीआई भी इस मामले में शामिल हैं।
सुरक्षा चुनौतियाँ: भविष्य के खतरों को कैसे रोकें?
यह विस्फोट देश की आंतरिक सुरक्षा की कमज़ोरी की ओर इशारा करता है। डॉक्टरों जैसे प्रतिष्ठित लोगों का आतंकवाद में शामिल होना एक नई चुनौती है। विशेषज्ञों के अनुसार, कश्मीर में कट्टरपंथ और जैश जैसे संगठनों के प्रसार को रोकने के लिए शैक्षिक और सामाजिक उपाय ज़रूरी हैं। 

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