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बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल: हसीना को फांसी देने का ऐतिहासिक फैसला

आईसीटी का चौंकाने वाला आदेश: अवामी लीग नेता को मौत की सजा
ढाका, 17 नवंबर, 2025 (समाचार एजेंसी) – बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में आज एक बेहद चौंकाने वाली और ऐतिहासिक घटना दर्ज हुई। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग सुप्रीमो शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराध और युद्ध अपराधों के आरोप में दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा सुनाई।
न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार (17 नवंबर, 2025) सुबह अदालत में हुई सुनवाई में यह फैसला सुनाया। शेख हसीना अदालत में मौजूद नहीं थीं क्योंकि वह वर्तमान में भारत में निर्वासन में हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से उनके खिलाफ मामला तेजी से आगे बढ़ रहा है। अदालत ने हसीना को 1971 के मुक्ति संग्राम और 2009 से 2024 के बीच किए गए कथित मानवता-विरोधी कृत्यों, राजनीतिक विरोधियों की हत्याओं और जबरन गायब किए जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
अदालत के फैसले में कहा गया, "शेख हसीना ने अपनी सत्ता का दुरुपयोग किया और हज़ारों नागरिकों के मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन किया। उनके नेतृत्व वाली सरकार ने विपक्षी नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों पर अत्याचार किए। ये अपराध अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अक्षम्य हैं।"
फैसला आते ही बांग्लादेश में मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। अवामी लीग के समर्थक सड़कों पर उतर आए और फैसले को "राजनीतिक बदला" बताया। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ अंतरिम सरकार के समर्थकों और छात्र संगठनों ने अदालत के सामने जश्न मनाया। ढाका के शाहबाग चौक पर बड़ी संख्या में लोग जमा हुए और "न्याय हुआ" के नारे लगाते हुए पटाखे फोड़ रहे थे।
छात्र आंदोलन के हिंसक रूप लेने के कारण शेख हसीना ने अगस्त 2024 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और भारत में शरण ली थी। उसके बाद, बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी। नई सरकार बनते ही, आईसीटी को फिर से सक्रिय कर दिया गया और हसीना सरकार के कई मामलों को खोलकर तेज़ी से सुनवाई की गई।
अब एक बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि इस सजा पर अमल कैसे होगा। क्योंकि शेख हसीना इस समय भारत में हैं और भारत सरकार ने उन्हें राजनीतिक शरण दी है। बांग्लादेश सरकार ने पहले ही हसीना के प्रत्यर्पण की माँग की थी, लेकिन भारत ने इसे अस्वीकार कर दिया था। अब जबकि मौत की सज़ा पर मुहर लग गई है, आशंका जताई जा रही है कि इसका दोनों देशों के संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। मानवाधिकार संगठनों और कुछ पश्चिमी देशों ने आईसीटी पर "राजनीति से प्रेरित" होने का आरोप लगाया है, जबकि दक्षिण एशियाई देशों में इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है।
शेख हसीना के वकीलों ने कहा है कि वे इस फैसले के खिलाफ तुरंत अपील दायर करेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह मामला "पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण और अवैध" है।
बांग्लादेशी राजनीति में इस मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। यह मामला अगले कुछ दिनों तक अंतरराष्ट्रीय न्याय, राजनीति और कूटनीति के केंद्र में रहेगा।

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