राम सुतार को महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार; विश्वविख्यात मूर्तिकार सम्मानित
मुंबई, 15 नवंबर, 2025 – महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत को प्रकाश में लाने वाले वरिष्ठ मूर्तिकार राम वंजे सुतार को राज्य के सर्वोच्च सम्मान, 'महाराष्ट्र भूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उनकी आजीवन कलाकृति और भारतीय मूर्तिकला में उनके अद्वितीय योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है। यह पुरस्कार जल्द ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रदान किया जाएगा, जिससे राज्य के कला जगत में खुशी की लहर दौड़ गई है।
राम सुतार भारतीय मूर्तिकला में युगपुरुष के रूप में जाने जाते हैं। उनके द्वारा निर्मित भव्य मूर्तियों ने दुनिया भर में भारत का गौरव बढ़ाया है। गुजरात स्थित 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी', जो दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति (182 मीटर) है, उनकी शिल्पकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सरदार वल्लभभाई पटेल की इस मूर्ति ने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर के मूर्तिकारों को भी प्रेरित किया। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली में महात्मा गांधी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज और कई अन्य महापुरुषों की मूर्तियाँ बनाई हैं। उनकी हस्तनिर्मित मूर्तियों में एक जीवंतता और भावनात्मक गहराई दिखाई देती है जो आम मूर्तिकारों में दुर्लभ है।
महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार की घोषणा करते हुए, राज्य सरकार ने सुतार के योगदान की खुले दिल से सराहना की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, "राम सुतार ने महाराष्ट्र की धरती को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया है। उनकी मूर्तियाँ केवल पत्थर की नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति की प्रतीक हैं।" इस पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपये की नकद राशि, एक स्मृति चिन्ह और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। पिछले साल यह पुरस्कार वरिष्ठ अभिनेता विक्रम गोखले को दिया गया था, जबकि इससे पहले लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों को यह सम्मान मिल चुका है।
राम सुतार का जन्म 19 फरवरी, 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंडूर गाँव में हुआ था। बचपन से ही उन्हें मूर्तिकला की ओर आकर्षित किया गया था। मुंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने मूर्तिकला में उत्कृष्टता हासिल की। 1950 के दशक में, उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया और दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में बनी मूर्तियों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें उन्होंने 94 वर्ष की आयु में भी अथक परिश्रम किया।
सुतार को इससे पहले पद्म भूषण (2016), पद्म श्री (1999) और कई अन्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। हालाँकि, उन्हें इस बात की विशेष खुशी है कि महाराष्ट्र भूषण उनके गृह राज्य का सम्मान है। पुरस्कार की घोषणा के बाद सुतार ने कहा, "मैं महाराष्ट्र की धरती का पुत्र हूँ। यह पुरस्कार मेरे शिक्षकों और सहयोगियों के योगदान के लिए है।"
महाराष्ट्र के कलाकारों, मूर्तिकारों और आम जनता ने इस फैसले का स्वागत किया है। मुंबई स्थित जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स के छात्रों और प्रोफेसरों ने सुतार को बधाई दी। एक छात्र ने कहा, "उनकी मूर्तियाँ पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।" इसके अलावा, सोशल मीडिया पर हैशटैग #RamSutarMaharashtraBhushan ट्रेंड कर रहा है, और कई लोग उनकी मूर्तियों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं और उन्हें शुभकामनाएँ दे रहे हैं।
पुरस्कार समारोह मुंबई में गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास आयोजित किया जाएगा और इसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। राम सुतार को मिले इस सम्मान ने महाराष्ट्र की कलात्मक परंपरा को नई ताकत दी है। उनकी जीवनगाथा केवल मूर्तिकला तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत, लगन और सांस्कृतिक गौरव की एक प्रेरक कहानी है।
मुंबई, 15 नवंबर, 2025 – महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत को प्रकाश में लाने वाले वरिष्ठ मूर्तिकार राम वंजे सुतार को राज्य के सर्वोच्च सम्मान, 'महाराष्ट्र भूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उनकी आजीवन कलाकृति और भारतीय मूर्तिकला में उनके अद्वितीय योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है। यह पुरस्कार जल्द ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रदान किया जाएगा, जिससे राज्य के कला जगत में खुशी की लहर दौड़ गई है।
राम सुतार भारतीय मूर्तिकला में युगपुरुष के रूप में जाने जाते हैं। उनके द्वारा निर्मित भव्य मूर्तियों ने दुनिया भर में भारत का गौरव बढ़ाया है। गुजरात स्थित 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी', जो दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति (182 मीटर) है, उनकी शिल्पकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सरदार वल्लभभाई पटेल की इस मूर्ति ने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर के मूर्तिकारों को भी प्रेरित किया। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली में महात्मा गांधी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज और कई अन्य महापुरुषों की मूर्तियाँ बनाई हैं। उनकी हस्तनिर्मित मूर्तियों में एक जीवंतता और भावनात्मक गहराई दिखाई देती है जो आम मूर्तिकारों में दुर्लभ है।
महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार की घोषणा करते हुए, राज्य सरकार ने सुतार के योगदान की खुले दिल से सराहना की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, "राम सुतार ने महाराष्ट्र की धरती को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया है। उनकी मूर्तियाँ केवल पत्थर की नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति की प्रतीक हैं।" इस पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपये की नकद राशि, एक स्मृति चिन्ह और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। पिछले साल यह पुरस्कार वरिष्ठ अभिनेता विक्रम गोखले को दिया गया था, जबकि इससे पहले लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों को यह सम्मान मिल चुका है।
राम सुतार का जन्म 19 फरवरी, 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंडूर गाँव में हुआ था। बचपन से ही उन्हें मूर्तिकला की ओर आकर्षित किया गया था। मुंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने मूर्तिकला में उत्कृष्टता हासिल की। 1950 के दशक में, उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया और दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में बनी मूर्तियों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें उन्होंने 94 वर्ष की आयु में भी अथक परिश्रम किया।
सुतार को इससे पहले पद्म भूषण (2016), पद्म श्री (1999) और कई अन्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। हालाँकि, उन्हें इस बात की विशेष खुशी है कि महाराष्ट्र भूषण उनके गृह राज्य का सम्मान है। पुरस्कार की घोषणा के बाद सुतार ने कहा, "मैं महाराष्ट्र की धरती का पुत्र हूँ। यह पुरस्कार मेरे शिक्षकों और सहयोगियों के योगदान के लिए है।"
महाराष्ट्र के कलाकारों, मूर्तिकारों और आम जनता ने इस फैसले का स्वागत किया है। मुंबई स्थित जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स के छात्रों और प्रोफेसरों ने सुतार को बधाई दी। एक छात्र ने कहा, "उनकी मूर्तियाँ पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।" इसके अलावा, सोशल मीडिया पर हैशटैग #RamSutarMaharashtraBhushan ट्रेंड कर रहा है, और कई लोग उनकी मूर्तियों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं और उन्हें शुभकामनाएँ दे रहे हैं।
पुरस्कार समारोह मुंबई में गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास आयोजित किया जाएगा और इसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। राम सुतार को मिले इस सम्मान ने महाराष्ट्र की कलात्मक परंपरा को नई ताकत दी है। उनकी जीवनगाथा केवल मूर्तिकला तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत, लगन और सांस्कृतिक गौरव की एक प्रेरक कहानी है।
राम सुतार भारतीय मूर्तिकला में युगपुरुष के रूप में जाने जाते हैं। उनके द्वारा निर्मित भव्य मूर्तियों ने दुनिया भर में भारत का गौरव बढ़ाया है। गुजरात स्थित 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी', जो दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति (182 मीटर) है, उनकी शिल्पकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सरदार वल्लभभाई पटेल की इस मूर्ति ने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर के मूर्तिकारों को भी प्रेरित किया। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली में महात्मा गांधी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज और कई अन्य महापुरुषों की मूर्तियाँ बनाई हैं। उनकी हस्तनिर्मित मूर्तियों में एक जीवंतता और भावनात्मक गहराई दिखाई देती है जो आम मूर्तिकारों में दुर्लभ है।
महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार की घोषणा करते हुए, राज्य सरकार ने सुतार के योगदान की खुले दिल से सराहना की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, "राम सुतार ने महाराष्ट्र की धरती को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया है। उनकी मूर्तियाँ केवल पत्थर की नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति की प्रतीक हैं।" इस पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपये की नकद राशि, एक स्मृति चिन्ह और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। पिछले साल यह पुरस्कार वरिष्ठ अभिनेता विक्रम गोखले को दिया गया था, जबकि इससे पहले लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों को यह सम्मान मिल चुका है।
राम सुतार का जन्म 19 फरवरी, 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंडूर गाँव में हुआ था। बचपन से ही उन्हें मूर्तिकला की ओर आकर्षित किया गया था। मुंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने मूर्तिकला में उत्कृष्टता हासिल की। 1950 के दशक में, उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया और दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में बनी मूर्तियों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें उन्होंने 94 वर्ष की आयु में भी अथक परिश्रम किया।
सुतार को इससे पहले पद्म भूषण (2016), पद्म श्री (1999) और कई अन्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। हालाँकि, उन्हें इस बात की विशेष खुशी है कि महाराष्ट्र भूषण उनके गृह राज्य का सम्मान है। पुरस्कार की घोषणा के बाद सुतार ने कहा, "मैं महाराष्ट्र की धरती का पुत्र हूँ। यह पुरस्कार मेरे शिक्षकों और सहयोगियों के योगदान के लिए है।"
महाराष्ट्र के कलाकारों, मूर्तिकारों और आम जनता ने इस फैसले का स्वागत किया है। मुंबई स्थित जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स के छात्रों और प्रोफेसरों ने सुतार को बधाई दी। एक छात्र ने कहा, "उनकी मूर्तियाँ पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।" इसके अलावा, सोशल मीडिया पर हैशटैग #RamSutarMaharashtraBhushan ट्रेंड कर रहा है, और कई लोग उनकी मूर्तियों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं और उन्हें शुभकामनाएँ दे रहे हैं।
पुरस्कार समारोह मुंबई में गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास आयोजित किया जाएगा और इसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। राम सुतार को मिले इस सम्मान ने महाराष्ट्र की कलात्मक परंपरा को नई ताकत दी है। उनकी जीवनगाथा केवल मूर्तिकला तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत, लगन और सांस्कृतिक गौरव की एक प्रेरक कहानी है।
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