बिहार चुनाव के बाद एनडीए के फैसले को लेकर उत्सुकता; विनोद तावड़े का अहम बयान
पटना/नई दिल्ली, 14 नवंबर, 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में मुख्यमंत्री पद किसे दिया जाएगा, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने इस संबंध में एक अहम बयान दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। तावड़े ने स्पष्ट किया कि, "हमने बिहार चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा था। हालाँकि, अब सभी पाँच दल एक साथ बैठकर तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा।"
हालांकि एनडीए ने बिहार में भारी जीत हासिल की है, लेकिन माना जा रहा है कि जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाने को लेकर एनडीए के घटक दलों के बीच मतभेद रहा है। चुनाव से पहले, एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और उनके नेतृत्व में प्रचार किया था। हालांकि, अब जब जीत के बाद भाजपा के कुछ नेता अलग-अलग सुझाव दे रहे हैं, तो सवाल उठ रहा है कि क्या एनडीए की एकता बरकरार रहेगी।
विनोद तावड़े ने आगे कहा, "एनडीए एक पारिवारिक गठबंधन की तरह है। हमने चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलकर काम किया। अब, हमारे सभी पांच सहयोगी - भाजपा, जदयू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा - चर्चा करेंगे और सरकार बनाने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लेंगे।" तावड़े का बयान एनडीए के आंतरिक समन्वय पर ज़ोर देता है, लेकिन इससे नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद पर सवालिया निशान लग गया है।
बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, चर्चा है कि कुछ पार्टी नेता अपना मुख्यमंत्री चाहते हैं क्योंकि भाजपा के पास सबसे ज़्यादा सीटें हैं। पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार और भाजपा के बीच तनाव की खबरें आ रही थीं। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन कहा जा रहा है कि विधानसभा में जदयू की सीटें कम होने से नीतीश कुमार की स्थिति कमज़ोर हुई है।
दूसरी ओर, जदयू नेताओं ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "नीतीश जी ने बिहार को स्थिरता दी है। उनके नेतृत्व में एनडीए ने चुनाव जीता है, इसलिए उन्हें मौका मिलना चाहिए।" हालाँकि, भाजपा सूत्रों ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में सभी विकल्पों पर चर्चा की जाएगी और किसी एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाए रखने पर ज़ोर नहीं दिया जाएगा।
एनडीए की इस बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही पटना में सभी नेताओं की बैठक होगी। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे पर भी फैसला लिया जाएगा। नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में 'चाणक्य' के रूप में जाने जाते हैं और सत्ता में बने रहने के लिए कई बार दल बदलने की कला दिखा चुके हैं। हालाँकि, इस बार एनडीए के समीकरण उनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।
राज्य के लोग भी इस सस्पेंस को लेकर उत्सुक हैं। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, "नीतीश जी ने अच्छा काम किया है, लेकिन भाजपा के पास बहुमत है, इसलिए देखना होगा कि क्या होता है।" उधर, विपक्षी महागठबंधन ने एनडीए के इस अंदरूनी विवाद की आलोचना करते हुए कहा है, "एनडीए की एकता सिर्फ़ चुनाव के लिए थी, अब सत्ता की लड़ाई शुरू हो गई है।" कुल मिलाकर, एनडीए के इस फ़ैसले ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। सबकी नज़र इस बात पर है कि क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या भाजपा का कोई नया चेहरा सामने आएगा। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में होने वाली बैठक में यह सस्पेंस ख़त्म हो जाएगा।
पटना/नई दिल्ली, 14 नवंबर, 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में मुख्यमंत्री पद किसे दिया जाएगा, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने इस संबंध में एक अहम बयान दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। तावड़े ने स्पष्ट किया कि, "हमने बिहार चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा था। हालाँकि, अब सभी पाँच दल एक साथ बैठकर तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा।"
हालांकि एनडीए ने बिहार में भारी जीत हासिल की है, लेकिन माना जा रहा है कि जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाने को लेकर एनडीए के घटक दलों के बीच मतभेद रहा है। चुनाव से पहले, एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और उनके नेतृत्व में प्रचार किया था। हालांकि, अब जब जीत के बाद भाजपा के कुछ नेता अलग-अलग सुझाव दे रहे हैं, तो सवाल उठ रहा है कि क्या एनडीए की एकता बरकरार रहेगी।
विनोद तावड़े ने आगे कहा, "एनडीए एक पारिवारिक गठबंधन की तरह है। हमने चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलकर काम किया। अब, हमारे सभी पांच सहयोगी - भाजपा, जदयू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा - चर्चा करेंगे और सरकार बनाने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लेंगे।" तावड़े का बयान एनडीए के आंतरिक समन्वय पर ज़ोर देता है, लेकिन इससे नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद पर सवालिया निशान लग गया है।
बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, चर्चा है कि कुछ पार्टी नेता अपना मुख्यमंत्री चाहते हैं क्योंकि भाजपा के पास सबसे ज़्यादा सीटें हैं। पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार और भाजपा के बीच तनाव की खबरें आ रही थीं। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन कहा जा रहा है कि विधानसभा में जदयू की सीटें कम होने से नीतीश कुमार की स्थिति कमज़ोर हुई है।
दूसरी ओर, जदयू नेताओं ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "नीतीश जी ने बिहार को स्थिरता दी है। उनके नेतृत्व में एनडीए ने चुनाव जीता है, इसलिए उन्हें मौका मिलना चाहिए।" हालाँकि, भाजपा सूत्रों ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में सभी विकल्पों पर चर्चा की जाएगी और किसी एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाए रखने पर ज़ोर नहीं दिया जाएगा।
एनडीए की इस बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही पटना में सभी नेताओं की बैठक होगी। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे पर भी फैसला लिया जाएगा। नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में 'चाणक्य' के रूप में जाने जाते हैं और सत्ता में बने रहने के लिए कई बार दल बदलने की कला दिखा चुके हैं। हालाँकि, इस बार एनडीए के समीकरण उनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।
राज्य के लोग भी इस सस्पेंस को लेकर उत्सुक हैं। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, "नीतीश जी ने अच्छा काम किया है, लेकिन भाजपा के पास बहुमत है, इसलिए देखना होगा कि क्या होता है।" उधर, विपक्षी महागठबंधन ने एनडीए के इस अंदरूनी विवाद की आलोचना करते हुए कहा है, "एनडीए की एकता सिर्फ़ चुनाव के लिए थी, अब सत्ता की लड़ाई शुरू हो गई है।" कुल मिलाकर, एनडीए के इस फ़ैसले ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। सबकी नज़र इस बात पर है कि क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या भाजपा का कोई नया चेहरा सामने आएगा। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में होने वाली बैठक में यह सस्पेंस ख़त्म हो जाएगा।
हालांकि एनडीए ने बिहार में भारी जीत हासिल की है, लेकिन माना जा रहा है कि जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाने को लेकर एनडीए के घटक दलों के बीच मतभेद रहा है। चुनाव से पहले, एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और उनके नेतृत्व में प्रचार किया था। हालांकि, अब जब जीत के बाद भाजपा के कुछ नेता अलग-अलग सुझाव दे रहे हैं, तो सवाल उठ रहा है कि क्या एनडीए की एकता बरकरार रहेगी।
विनोद तावड़े ने आगे कहा, "एनडीए एक पारिवारिक गठबंधन की तरह है। हमने चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलकर काम किया। अब, हमारे सभी पांच सहयोगी - भाजपा, जदयू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा - चर्चा करेंगे और सरकार बनाने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लेंगे।" तावड़े का बयान एनडीए के आंतरिक समन्वय पर ज़ोर देता है, लेकिन इससे नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद पर सवालिया निशान लग गया है।
बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, चर्चा है कि कुछ पार्टी नेता अपना मुख्यमंत्री चाहते हैं क्योंकि भाजपा के पास सबसे ज़्यादा सीटें हैं। पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार और भाजपा के बीच तनाव की खबरें आ रही थीं। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन कहा जा रहा है कि विधानसभा में जदयू की सीटें कम होने से नीतीश कुमार की स्थिति कमज़ोर हुई है।
दूसरी ओर, जदयू नेताओं ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "नीतीश जी ने बिहार को स्थिरता दी है। उनके नेतृत्व में एनडीए ने चुनाव जीता है, इसलिए उन्हें मौका मिलना चाहिए।" हालाँकि, भाजपा सूत्रों ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में सभी विकल्पों पर चर्चा की जाएगी और किसी एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाए रखने पर ज़ोर नहीं दिया जाएगा।
एनडीए की इस बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही पटना में सभी नेताओं की बैठक होगी। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे पर भी फैसला लिया जाएगा। नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में 'चाणक्य' के रूप में जाने जाते हैं और सत्ता में बने रहने के लिए कई बार दल बदलने की कला दिखा चुके हैं। हालाँकि, इस बार एनडीए के समीकरण उनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।
राज्य के लोग भी इस सस्पेंस को लेकर उत्सुक हैं। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, "नीतीश जी ने अच्छा काम किया है, लेकिन भाजपा के पास बहुमत है, इसलिए देखना होगा कि क्या होता है।" उधर, विपक्षी महागठबंधन ने एनडीए के इस अंदरूनी विवाद की आलोचना करते हुए कहा है, "एनडीए की एकता सिर्फ़ चुनाव के लिए थी, अब सत्ता की लड़ाई शुरू हो गई है।" कुल मिलाकर, एनडीए के इस फ़ैसले ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। सबकी नज़र इस बात पर है कि क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या भाजपा का कोई नया चेहरा सामने आएगा। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में होने वाली बैठक में यह सस्पेंस ख़त्म हो जाएगा।
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