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दिल्ली बम विस्फोट: कांग्रेस का केंद्र सरकार पर निशाना, 'आतंकवाद की पहचान 50 घंटे में इतनी देर से क्यों हुई?'

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार (12 नवंबर) दोपहर लाल किले के पास हुए बम विस्फोट से पूरा देश दहल गया। हालाँकि इस विस्फोट में दो लोग घायल हुए हैं, लेकिन इसके राजनीतिक परिणामों ने केंद्र की मोदी सरकार को बड़ा झटका दिया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस घटना को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए बम विस्फोट की पहचान 'आतंकवादी हमले' के रूप में करने में 50 घंटे लगने का आरोप लगाया है। साथ ही, पाकिस्तान के खिलाफ एक भी कड़े शब्द का इस्तेमाल न करने पर भी सवाल उठाए हैं। इस मामले ने सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीतिक बहस को गरमा दिया है, और कांग्रेस ने सरकार की खुफिया एजेंसियों की विफलता की ओर भी इशारा किया है।
घटना की पृष्ठभूमि: लाल किले के पास चौंकाने वाला विस्फोट
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला इलाके में दोपहर 2 बजे एक दोपहिया वाहन के पास बम विस्फोट हुआ। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस को शुरू में संदेह था कि यह विस्फोट किसी देसी बम या आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से हुआ था। विस्फोट में दो पर्यटक घायल हुए हैं, जिन्हें पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गनीमत रही कि विस्फोट की तीव्रता कम होने के कारण कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इस घटना ने दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) तुरंत मौके पर पहुँचे और विस्फोट को कवर किया। सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर जाँच जारी है और संदिग्धों की तलाश की जा रही है। प्रारंभिक जाँच में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का हाथ होने का संकेत मिल रहा है, जिन्होंने इस हमले को सीमा पार आतंकवाद से जोड़ा है। हालाँकि, केंद्र सरकार ने शुरुआत में इस हमले को 'अज्ञात कारणों से हुआ विस्फोट' बताया था, जिससे विपक्ष में संदेह पैदा हो गया है।
कांग्रेस की तीखी आलोचना: '50 घंटे की देरी और पाकिस्तान की चुप्पी'
कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को लेकर मोदी सरकार पर कड़ा हमला बोला है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए, पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "मोदी सरकार को दिल्ली विस्फोट को 'आतंकवादी हमला' मानने में 50 घंटे लग गए। गृह मंत्रालय ने विस्फोट के 50 घंटे बाद ही इसे आतंकवादी हमला मान लिया। इसका क्या मतलब है? क्या सरकार ने आतंकवाद को मान्यता नहीं दी? और पाकिस्तान के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। क्या पाकिस्तान के बिना भारत में ऐसा हमला संभव है? यह कोई भूल नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई कमज़ोरी है।"
श्रीनेत ने आगे कहा, "2019 के पहलगाम हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि किसी भी आतंकवादी हमले को 'युद्ध कार्रवाई' माना जाएगा। लेकिन अब लगता है कि वह बयान भुला दिया गया है। मोदी सरकार सिर्फ़ नारों तक सीमित है। क्या सिर्फ़ अपनी छवि बनाने के लिए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है? यह सवाल हर भारतीय नागरिक को पूछना चाहिए।" इस बयान से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह है और सोशल मीडिया पर #ModiOnSecurity हैशटैग ट्रेंड कर रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (अब पूर्व) ने भी ट्विटर पर एक पोस्ट करके सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा, "दिल्ली में बम धमाके और सरकार की खामोशी! सुरक्षा के नाम पर सिर्फ़ फ़ोटोशूट? इससे साबित होता है कि लोगों की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं है। अब समय आ गया है कि सरकार को जवाबदेह ठहराया जाए।" इस पोस्ट को अब तक लाखों बार देखा जा चुका है।
खुफ़िया एजेंसियों की नाकामी? ख़ुफ़िया तंत्र की कमज़ोरी
श्रीनेत की आलोचना ख़ुफ़िया एजेंसियों की भूमिका पर भी केंद्रित रही। उन्होंने कहा, "इस हमले की ख़ुफ़िया जानकारी पहले क्यों नहीं थी? आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो), दिल्ली पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह क्या कर रहे थे? देश की सुरक्षा सुरक्षित हाथों में नहीं है। पिछले एक दशक में कई आतंकी हमलों के बावजूद मोदी सरकार ने व्यवस्था में सुधार नहीं किया है। यह एक बड़ी भूल है और लोगों को इसके लिए जवाबदेह होना होगा।"

इन आरोपों पर केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालाँकि, भाजपा नेता और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने विपक्ष को अप्रत्यक्ष रूप से जवाब दिया है। उन्होंने कहा, "विपक्ष हर घटना का राजनीति के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। हम जाँच कर रहे हैं और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाएगी। हम विपक्ष को याद दिलाएँगे कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी कार्रवाई सख्त है।" ठाकुर के बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया है, कांग्रेस ने इसे 'नाकामी की आड़' बताया है।
राजनीतिक माहौल गरमाया: अन्य दलों की भूमिका
इस मामले में अन्य विपक्षी दल भी सक्रिय हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "दिल्ली में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी केंद्र की है, लेकिन हम नाकामियों को उजागर करने के आदी हैं। लोगों को न्याय मिलना चाहिए।" राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता शरद पवार ने भी इस मुद्दे को संसद में उठाने का ऐलान किया है।
दूसरी ओर, भाजपा इसे 'विपक्ष की राजनीतिक चाल' बता रही है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, "कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति की है। हम आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ हैं और इस हमले का भी पर्दाफाश करेंगे।" संसद के शीतकालीन सत्र में भी सुरक्षा मुद्दे पर बहस होने की संभावना है।
भविष्य की चुनौतियाँ: सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने की ज़रूरत
इस बम विस्फोट ने एक बार फिर दिल्ली जैसे संवेदनशील शहर की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, सिम

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