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जामनगर के जेसीसी हार्ट इंस्टीट्यूट में भीषण घोटाला: स्वस्थ मरीजों को लगाए अनावश्यक स्टेंट, 800 सर्जरी कर 6 करोड़ रुपये की लूट!

जामनगर, 15 नवंबर, 2025: गुजरात के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरी चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जामनगर के प्रसिद्ध जेसीसी हार्ट इंस्टीट्यूट के एक डॉक्टर पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने स्वस्थ मरीजों की अनावश्यक हार्ट सर्जरी कर उनके दिल में स्टेंट लगा दिए। पिछले डेढ़ साल में 800 सर्जरी की गईं, जिससे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत 6 करोड़ रुपये की वित्तीय लूट हुई। इस घोटाले के उजागर होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
यह मामला इतना भयावह है कि इसमें कई स्वस्थ लोगों की जान से खिलवाड़ किया गया। जांच में पता चला कि डॉ. पार्श्व वोरा ने 105 पूरी तरह स्वस्थ मरीजों को स्टेंट लगाए। ये सभी मरीज पीएमजेएवाई योजना के लाभार्थी थे, जिन्हें किसी सर्जरी की जरूरत नहीं थी। डॉक्टर ने यह सब छिपाने के लिए अस्पताल के अन्य निदेशकों और साझेदारों को कुछ भी पता नहीं चलने दिया। उसने ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया और आयुष्मान कार्ड की सारी जानकारी अपने नियंत्रण में रखी थी। इस वजह से अस्पताल के अन्य कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया, "यह आँकड़ा इतना असामान्य था कि हमें तुरंत शक हुआ। डेढ़ साल में 800 हृदय शल्यक्रियाएँ और 6 करोड़ रुपये का बिल देखकर हमने जाँच शुरू की। शुरुआती जाँच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।" इन शल्यक्रियाओं के कारण, मरीजों को अनावश्यक दवाइयाँ और उपचार लेने पड़े, जिनका उनके स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। कुछ मरीजों को अब दूसरे अस्पताल जाकर दोबारा जाँच करवानी पड़ रही है, जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक और मानसिक तनाव बढ़ गया है।
जाँच ​​के दौरान एक और चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि दवा कंपनियाँ डॉक्टरों को मरीज भेजने के लिए 20 प्रतिशत कमीशन देती थीं। यह कमीशन स्टेंट और अन्य चिकित्सा उपकरणों की बिक्री पर आधारित था। इसके चलते डॉक्टर ने स्वस्थ लोगों की भी सर्जरी की, जिससे कंपनियों को फायदा हुआ और पीएमजेएवाई योजना का पैसा लूटा गया। मामले की गंभीरता को समझते हुए गुजरात स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत कार्रवाई की। जेसीसी हार्ट इंस्टीट्यूट को पीएमजेएवाई योजना के पैनल से हटा दिया गया है और उस पर 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। डॉ. पार्श्व वोरा को निलंबित कर दिया गया है और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है।
यह मामला अकेला नहीं है। गुजरात में स्वास्थ्य योजना में इस तरह के घोटाले बढ़ते जा रहे हैं। इससे पहले अहमदाबाद के एक मशहूर अस्पताल में भी ऐसी ही घटना हुई थी। वहाँ 19 मरीज़ों की जबरन एंजियोग्राफ़ी की गई, जबकि 7 की एंजियोप्लास्टी की गई। इनमें से दो मरीज़ों की मौत हो गई, जबकि 5 अभी आईसीयू में हैं। इस मामले ने मरीज़ों के भरोसे को हिलाकर रख दिया था। अब जामनगर मामले ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि पीएमजेएवाई जैसी महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन में कितनी पारदर्शिता है?
स्वास्थ्य विभाग ने अन्य अस्पतालों पर भी छापेमारी शुरू कर दी है। पालनपुर के सद्भावना अस्पताल पर पैनल में शामिल न होने वाले डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देने के लिए जुर्माना लगाया गया। वहीं जूनागढ़ के समन अस्पताल पर तय पैकेज से ज़्यादा पैसे वसूलने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इन कार्रवाइयों के चलते गुजरात में एक ही हफ़्ते में तीन अस्पतालों पर कार्रवाई हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "हम इस तरह के भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे। मरीजों की सुरक्षा के लिए कड़ी जाँच और नियमित ऑडिट किए जाएँगे।"
पीएमजेएवाई योजना गरीब और मध्यम वर्ग के लिए एक वरदान है, जो हर साल लाखों मरीजों को मुफ्त इलाज प्रदान करती है। लेकिन इस तरह के घोटाले इस योजना के मूल उद्देश्य पर ही सवाल उठाते हैं। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इसके लिए डिजिटल ट्रैकिंग और स्वतंत्र जाँच तंत्र की आवश्यकता है। मरीजों से भी आग्रह किया जा रहा है कि वे पूरी तरह से डॉक्टरों की सलाह पर निर्भर न रहें, बल्कि दूसरी राय लें।
इस मामले ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉक्टरों को भगवान माना जाता है, लेकिन कुछ लोगों के लालच के कारण मरीजों की जान जोखिम में डाली जा रही है। जामनगर मामले की जाँच जारी है और आगे और भी खुलासे होने की संभावना है। मरीजों और उनके परिजनों को अब सतर्क रहने की ज़रूरत है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, अगर सर्जरी की ज़रूरत हो, तो हमेशा दूसरे विशेषज्ञ की राय लें और योजना के आधिकारिक पोर्टल पर जाँच करें।

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