दिवाली की रात दिल्ली में रिकॉर्ड प्रदूषण स्तर: PM 2.5 675 से ऊपर, ध्वनि सीमा का भी उल्लंघन
दिल्ली, 21 अक्टूबर, 2025: इस साल दिल्ली में दिवाली के जश्न ने पर्यावरण को बड़ा झटका दिया है। पटाखों की धूम के कारण वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में पहुँच गई है, जहाँ PM 2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुँच गया। यह पिछले चार सालों का उच्चतम रिकॉर्ड है। इसके अलावा, ध्वनि प्रदूषण भी सीमा पार कर गया और शहर के अधिकांश हिस्सों में देर रात तक पटाखे फोड़े गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पटाखों पर समय सीमा तय होने के बावजूद लोगों ने इसकी अनदेखी की। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण हवा की गति में कमी के कारण यह प्रदूषण बढ़ा है।
दिवाली की रात दिल्ली की हवा जहरीली हो गई। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार शाम चार बजे 345 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। यह पिछले वर्षों के 2024 में 330, 2023 में 218, 2022 में 312 और 2021 में 382 से अधिक है। रात भर एक्यूआई 344 से 359 के बीच रहा और मंगलवार दोपहर तक औसतन 351 दर्ज किया गया। यह प्रदूषण पटाखों के धुएं के कारण बढ़ा है, जो हवा में ही रहता है और फैलता नहीं है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जताई है क्योंकि ऐसा प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों, आंखों की समस्याओं और हृदय रोगों को आमंत्रित करता है। दिवाली की रात पीएम 2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। 2024 में यह स्तर 609, 2023 में 609, 2022 में 570 और 2021 में 728 रहा। शाम चार बजे यह स्तर 91 माइक्रोग्राम था, जो रात 12 बजे तक लगातार बढ़कर 675 हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र ने हवा की गति धीमी कर दी, जिससे प्रदूषक कण हवा में ही रहे और फैल नहीं पाए। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रदूषण निगरानी के सभी आंकड़े सुरक्षित हैं और वेबसाइट व ऐप सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। हालांकि, कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों ने दावा किया है कि प्रदूषण के चरम समय के आंकड़े गायब थे। इस दिवाली ध्वनि प्रदूषण भी अपने चरम पर पहुंच गया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों के अनुसार, शहर के 26 में से 23 ध्वनि निगरानी स्टेशनों पर ध्वनि का स्तर कम दर्ज किया गया। करोल बाग में रात 11 बजे ध्वनि का स्तर 93.5 डेसिबल (ए) दर्ज किया गया, जहां स्वीकार्य सीमा 55 डेसिबल (ए) है। श्री अरबिंदो मार्ग जैसे शांत इलाकों में भी ध्वनि का स्तर 65 डेसिबल (A) तक पहुँच गया। इस ध्वनि प्रदूषण से कान की समस्या, तनाव और अनिद्रा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लिए रात 8 से 10 बजे तक की समय सीमा तय की थी, लेकिन कई जगहों पर देर रात तक पटाखे फोड़े गए।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए रविवार को ही GRAP के दूसरे चरण को सक्रिय कर दिया था। 14.6% प्रदूषण परिवहन से, 8.3% नोएडा से, 6% गाजियाबाद से, 3.6% गुरुग्राम से और 1% पराली जलाने से होता है। CPCB के पूर्व अधिकारी दीपांकर साहा ने कहा कि अगर हवा की गति बढ़ती है, तो आने वाले दिनों में प्रदूषण कम हो सकता है। हालाँकि, अभी के लिए, दिल्लीवासियों को मास्क पहनने, कम बाहर निकलने और प्रदूषण कम करने के प्रयास करने की ज़रूरत है।
इस प्रदूषण से दिल्ली में स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ने की संभावना है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को ज़्यादा खतरा है। हालाँकि सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है, लेकिन इसका कार्यान्वयन अपर्याप्त रहा है। भविष्य में ऐसे त्योहारों के लिए पर्यावरण-अनुकूल विकल्प तलाशना ज़रूरी है, जैसे ग्रीन पटाखे या लेज़र शो। दिल्ली में इस प्रदूषण ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है।
दिल्ली, 21 अक्टूबर, 2025: इस साल दिल्ली में दिवाली के जश्न ने पर्यावरण को बड़ा झटका दिया है। पटाखों की धूम के कारण वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में पहुँच गई है, जहाँ PM 2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुँच गया। यह पिछले चार सालों का उच्चतम रिकॉर्ड है। इसके अलावा, ध्वनि प्रदूषण भी सीमा पार कर गया और शहर के अधिकांश हिस्सों में देर रात तक पटाखे फोड़े गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पटाखों पर समय सीमा तय होने के बावजूद लोगों ने इसकी अनदेखी की। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण हवा की गति में कमी के कारण यह प्रदूषण बढ़ा है।
दिवाली की रात दिल्ली की हवा जहरीली हो गई। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार शाम चार बजे 345 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। यह पिछले वर्षों के 2024 में 330, 2023 में 218, 2022 में 312 और 2021 में 382 से अधिक है। रात भर एक्यूआई 344 से 359 के बीच रहा और मंगलवार दोपहर तक औसतन 351 दर्ज किया गया। यह प्रदूषण पटाखों के धुएं के कारण बढ़ा है, जो हवा में ही रहता है और फैलता नहीं है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जताई है क्योंकि ऐसा प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों, आंखों की समस्याओं और हृदय रोगों को आमंत्रित करता है। दिवाली की रात पीएम 2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। 2024 में यह स्तर 609, 2023 में 609, 2022 में 570 और 2021 में 728 रहा। शाम चार बजे यह स्तर 91 माइक्रोग्राम था, जो रात 12 बजे तक लगातार बढ़कर 675 हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र ने हवा की गति धीमी कर दी, जिससे प्रदूषक कण हवा में ही रहे और फैल नहीं पाए। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रदूषण निगरानी के सभी आंकड़े सुरक्षित हैं और वेबसाइट व ऐप सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। हालांकि, कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों ने दावा किया है कि प्रदूषण के चरम समय के आंकड़े गायब थे। इस दिवाली ध्वनि प्रदूषण भी अपने चरम पर पहुंच गया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों के अनुसार, शहर के 26 में से 23 ध्वनि निगरानी स्टेशनों पर ध्वनि का स्तर कम दर्ज किया गया। करोल बाग में रात 11 बजे ध्वनि का स्तर 93.5 डेसिबल (ए) दर्ज किया गया, जहां स्वीकार्य सीमा 55 डेसिबल (ए) है। श्री अरबिंदो मार्ग जैसे शांत इलाकों में भी ध्वनि का स्तर 65 डेसिबल (A) तक पहुँच गया। इस ध्वनि प्रदूषण से कान की समस्या, तनाव और अनिद्रा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लिए रात 8 से 10 बजे तक की समय सीमा तय की थी, लेकिन कई जगहों पर देर रात तक पटाखे फोड़े गए।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए रविवार को ही GRAP के दूसरे चरण को सक्रिय कर दिया था। 14.6% प्रदूषण परिवहन से, 8.3% नोएडा से, 6% गाजियाबाद से, 3.6% गुरुग्राम से और 1% पराली जलाने से होता है। CPCB के पूर्व अधिकारी दीपांकर साहा ने कहा कि अगर हवा की गति बढ़ती है, तो आने वाले दिनों में प्रदूषण कम हो सकता है। हालाँकि, अभी के लिए, दिल्लीवासियों को मास्क पहनने, कम बाहर निकलने और प्रदूषण कम करने के प्रयास करने की ज़रूरत है।
इस प्रदूषण से दिल्ली में स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ने की संभावना है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को ज़्यादा खतरा है। हालाँकि सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है, लेकिन इसका कार्यान्वयन अपर्याप्त रहा है। भविष्य में ऐसे त्योहारों के लिए पर्यावरण-अनुकूल विकल्प तलाशना ज़रूरी है, जैसे ग्रीन पटाखे या लेज़र शो। दिल्ली में इस प्रदूषण ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है।
दिवाली की रात दिल्ली की हवा जहरीली हो गई। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार शाम चार बजे 345 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। यह पिछले वर्षों के 2024 में 330, 2023 में 218, 2022 में 312 और 2021 में 382 से अधिक है। रात भर एक्यूआई 344 से 359 के बीच रहा और मंगलवार दोपहर तक औसतन 351 दर्ज किया गया। यह प्रदूषण पटाखों के धुएं के कारण बढ़ा है, जो हवा में ही रहता है और फैलता नहीं है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जताई है क्योंकि ऐसा प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों, आंखों की समस्याओं और हृदय रोगों को आमंत्रित करता है। दिवाली की रात पीएम 2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। 2024 में यह स्तर 609, 2023 में 609, 2022 में 570 और 2021 में 728 रहा। शाम चार बजे यह स्तर 91 माइक्रोग्राम था, जो रात 12 बजे तक लगातार बढ़कर 675 हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र ने हवा की गति धीमी कर दी, जिससे प्रदूषक कण हवा में ही रहे और फैल नहीं पाए। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रदूषण निगरानी के सभी आंकड़े सुरक्षित हैं और वेबसाइट व ऐप सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। हालांकि, कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों ने दावा किया है कि प्रदूषण के चरम समय के आंकड़े गायब थे। इस दिवाली ध्वनि प्रदूषण भी अपने चरम पर पहुंच गया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों के अनुसार, शहर के 26 में से 23 ध्वनि निगरानी स्टेशनों पर ध्वनि का स्तर कम दर्ज किया गया। करोल बाग में रात 11 बजे ध्वनि का स्तर 93.5 डेसिबल (ए) दर्ज किया गया, जहां स्वीकार्य सीमा 55 डेसिबल (ए) है। श्री अरबिंदो मार्ग जैसे शांत इलाकों में भी ध्वनि का स्तर 65 डेसिबल (A) तक पहुँच गया। इस ध्वनि प्रदूषण से कान की समस्या, तनाव और अनिद्रा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लिए रात 8 से 10 बजे तक की समय सीमा तय की थी, लेकिन कई जगहों पर देर रात तक पटाखे फोड़े गए।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए रविवार को ही GRAP के दूसरे चरण को सक्रिय कर दिया था। 14.6% प्रदूषण परिवहन से, 8.3% नोएडा से, 6% गाजियाबाद से, 3.6% गुरुग्राम से और 1% पराली जलाने से होता है। CPCB के पूर्व अधिकारी दीपांकर साहा ने कहा कि अगर हवा की गति बढ़ती है, तो आने वाले दिनों में प्रदूषण कम हो सकता है। हालाँकि, अभी के लिए, दिल्लीवासियों को मास्क पहनने, कम बाहर निकलने और प्रदूषण कम करने के प्रयास करने की ज़रूरत है।
इस प्रदूषण से दिल्ली में स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ने की संभावना है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को ज़्यादा खतरा है। हालाँकि सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है, लेकिन इसका कार्यान्वयन अपर्याप्त रहा है। भविष्य में ऐसे त्योहारों के लिए पर्यावरण-अनुकूल विकल्प तलाशना ज़रूरी है, जैसे ग्रीन पटाखे या लेज़र शो। दिल्ली में इस प्रदूषण ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है।
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